फिलिस्तीनियों को इजरायली एयर स्ट्राइक से अधिक ‘हंगर स्ट्राइक’ मार रही
गाजा
गाजा पट्टी में इजरायल की ओर से हवाई हमलों का सिलसिला जारी है। बीते रविवार को ही इजरायली अटैक में 133 फिलिस्तीनी मारे गए और कई घायल हुए। इजरायल के प्रहार से बचने के लिए लाखों की तादाद में लोग गाजा छोड़ चुके हैं। यहां से विस्थापन अभी भी जारी है। ऐसे स्थिति में फिलिस्तीनियों को इजरायल की एयर स्ट्राइक से ज्यादा 'हंगर स्ट्राइक' का डर सता रहा है। सहायता एजेंसियों का कहना है कि गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के बीच भूख की समस्या बदतर होती जा रही है। घनी आबादी वाले तटीय इलाके में शरण लेना या भोजन ढूंढना असंभव सा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से कहा गया कि यहां की आधी आबादी भूख से मर रही है।
युद्धविराम की मांग पर आज हो सकता है मतदान
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा इजरायल और हमास के बीच एक बार फिर से युद्धविराम लागू कराने की कोशिशों में जुटा है। यूएन के 193 सदस्य गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष में तत्काल सीजफायर की मांग करने वाले मसौदा प्रस्ताव पर मंगलवार को मतदान कर सकते है। यह कदम गाजा में तत्काल मानवीय युद्धविराम की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की मांग को अमेरिका की ओर से वीटो करने के बाद उठाया गया है। महासभा ने अक्टूबर में एक प्रस्ताव अपनाया जिसमें 121 पक्ष में, 14 विपक्ष में और 44 सदस्य अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव में 'शत्रुता की समाप्ति के लिए तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम' की अपील की गई है।
16 हजार लोग राफा सीमा पार करके पहुंचे मिस्र
इजरायल और हमास के बीच संघर्ष को लेकर नवंबर की शुरुआत से करीब 16 हजार लोग राफा सीमा पार करके गाजा पट्टी से मिस्र में प्रवेश कर चुके हैं। मिस्र की राज्य सूचना सेवा (एसआईएस) ने यह जानकारी दी। SIS ने बयान में कहा, 'नवंबर के बाद से मिस्र ने 12,858 विदेशी नागरिकों और दोहरी नागरिकता वाले व्यक्तियों को राफा सीमा पार से प्रवेश करने की इजाजत दी है।' बयान के अनुसार, 715 मरीज और उनके साथ आए 558 लोग भी गाजा पट्टी से मिस्र पहुंचे। इसके अलावा, 1800 से अधिक मिस्रवासी एन्क्लेव से अपने वतन लौट आए। मालूम हो कि कतर ने 24 नवंबर को इजरायल और हमास के बीच अस्थायी संघर्ष विराम को लेकर मध्यस्थता की थी। साथ ही बंधकों की अदला-बदली और गाजा पट्टी में मानवीय सहायता को लेकर समझौता हुआ था। संघर्ष विराम को कई बार बढ़ाया गया और 1 दिसंबर को समाप्त कर दिया गया।