आवास विकास ने दाखिल खारिज शुल्क घटाया, अधिकतम 10 हजार रुपए होगा
लखनऊ
आखिरकार आवास विकास परिषद ने भी दाखिल खारिज शुल्क घटा दिया। बुधवार को अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में शुल्क घटाने का फैसला हुआ। अब आवास विकास के आवंटी भी एलडीए की तरह एक हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक शुल्क जमाकर अपनी सम्पत्तियों का दाखिल खारिज करा सकेंगे। शासन ने पिछले वर्ष दाखिल खारिज शुल्क घटा दिया था। प्रदेश के सभी प्राधिकरणों ने घटी दरें लागू कर दी थीं। लेकिन आवास विकास परिषद ने शुल्क नहीं कम किया था। जबकि शासन के आवास विभाग ने ही इसका आदेश जारी किया था। यही नहीं अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने खुद आदेश जारी किया। वह आवास विकास परिषद के बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। इसके बावजूद परिषद ने शासन की ओर से निर्धारित दरें नहीं लागू की और मनमाना शुल्क वसूलते रहे।
पिछले महीने आवास विकास में दाखिल खारिज अधिक लेने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। खबर में बताया था कि सभी प्राधिकरण अधिकतम दस हजार रुपये ले रहे हैं लेकिन आवास विकास अभी संपत्ति का एक प्रतिशत ही वसूल रहा है। इस खबर के बाद अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोर्कण के संज्ञान में मामला आया। जिसके बाद उन्होंने शुल्क कम कराने की बात कही थी। उनके प्रयास से ही बुधवार को बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव रखा गया। जिसे बोर्ड ने मंजूरी दे दी। अब आवास विकास परिषद के आवासीय भवनों व भूखण्डों का दाखिल खारिज भी अधिकतम 10 हजार में होगा।
अब इस तरह देना होगा दाखिल खारिज शुल्क
सम्पत्ति की कीमत दाखिल खारिज शुल्क
5 लाख तक की संपत्ति के लिए 1000
पांच से अधिक व 10 लाख तक 2000
10 से अधिक व 15 लाख तक 3000
15 से अधिक व 50 लाख तक 5000
तथा 50 लाख से अधिक 10000
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अपर आवास आयुक्त व सचिव में डॉ. नीरज शुक्ला ने बताया कि दाखिल खारिज शुल्क कम कर दिया गया है। अब आवासीय भवन भूखण्डों का दाखिल खारिज शुल्क काफी कम हो गया है। शासन से जारी आदेशों को लागू कर दिया गया है। दाखिल खारिज शुल्क कम होने से लोगों को काफी फायदा होगा।
बोर्ड में इन पर भी हुआ फैसला
अवैध निर्माण रोकने के लिए रहेलखण्ड, कानपुर तथा आगरा वृत में भी प्रवर्तन दस्ता गठन को मंजूरी मिली।
परिषद के कर्मचारियों, पेंशनरों तथा पारिवारिक पेंशनरों को एक जनवरी 2023 से 42 प्रतिशत की दर से मंहगायी भत्ता देने की मंजूरी मिली।