इस देश में धधकते ज्वालामुखी की पूजा करते हैं हिंदू, भगवान ब्रह्मा से जुड़ी है मान्यता
जकार्ता
भारत भले ही सबसे ज्यादा हिंदू आबादा वाला देश है लेकिन इंडोनेशिया में हिंदू धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। यहां के नोट पर भी भगवान गणेश की तस्वीर छपी है। इंडोनेशिया में ही एक पर्वत है जिसका नाम भगवान ब्रह्मा के नाम पर है। जावा भाषा में इसे ब्रोमो कहा जाता है। यहां एक सक्रिय ज्वालामुखी है। हर साल यहां हजारों लोक भगवान ब्रह्मा और गणेश की पूजा करने पहुंचते हैं। यहां के हिंदुओं की मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा यहां सक्रिय ज्वालामुखी में निवास करते हैं।
इंडोनेशिया में अब भी 130 सक्रिय ज्लालामुखी हैं। ब्रोमा पर्वत 7 हजार फीट ऊंचा है। लोगों की आस्था यहां लोगों को पहुंचने से नहीं रोक पाती है। हालांकि कोरोना काल में यहां लोगों क जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। फिर भी कुछ पुजारी यहां पूजा करने के लिए पहुंचे थे। ज्वालामुखी के पास में ही भगवान गणेश की प्रतिमा है। लोग यहां पूजा-अर्चना करते हैं। लोगों का मानना है कि भगवना गणेश इस ज्वालामुखी को तबाही मचान से रोकते हैं।
थोड़ी ही दूर पर भगवान ब्रह्मा का एक छोटा सा मंदिर भी है। यह पर्वत पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। इस पर्वत के आसपास करीब 50 गांव हैं जहां बड़ी हिंदू आबादी रहती है। सबसे पास के गांव का नाम केमोरो लवांग है। वे खुद को माजपाहित शासक के वंश का मानते हैं। हर साल यहां मनाए जाने वाले इस त्योहार को 'याद्न्या कासडा' कहते हैं। बताया जाता है कि यह परंपरा 500 साल से भी पुरानी है। साल 2016 में भी ज्वालामुखी में विस्फोट हो रहे थे इसलिए सरकार ने यहां लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी थी। केवल 15 पुजारियों को यहां भेजा गया था। लेकिन उनके-पीछे-पीछे बड़ी संख्या में लोग पूजा के लिए पहुंच गए।
कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
त्योहार के 14वें दिन बड़ी संक्या में संख्या में लोग ज्वालामुखी के मुहाने के पास पहुंचते हैं। इसके संकरे मुहाने पर बड़ी भीड़ दिखाई देती है। लोग अपने साथ खाने-पीने की चीजें और बलि देने के लिए जानवर भी ले जाते हैं। लोग इस ज्लावामुखी में अपनी चीजों को समर्पित करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं। यहां हिंदू भगवान ब्रह्मा के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा करते हैं।