व्यापार

छोटे आकार की पेट्रोलियम रिफाइनरी लगाने पर कर रहे हैं विचार: हरदीप सिंह पुरी

नई दिल्ली
 पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने  कहा कि देश में 45 करोड़ टन सालाना रिफाइनरी क्षमता हासिल करने के लिये छोटे आकार की पेट्रोलियम रिफाइनरी लगाने पर विचार किया जा रहा है।

उद्योग मंडल इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि छोटी रिफाइनरियों के लिये चीजें आसान होती हैं। इसमें जमीन अधिग्रहण समेत अन्य बाधाएं नहीं होती।

इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी लगाने की योजना अटकने के बीच उन्होंने यह बात कही है। तीनों कंपनियों की महाराष्ट्र के रत्नागिरी में छह करोड़ टन सालाना क्षमता की रिफाइनरी लगाने की योजना है, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पा रही है।

फिलहाल देश में रिफाइनिंग क्षमता 25.2 करोड़ टन सालाना है।

पुरी ने कहा, ''बड़े आकार की रिफाइनरी लगाना महंगा सौदा बन गया है। हम प्रतिवर्ष दो करोड़ टन तक सालाना क्षमता वाली रिफाइनरियों पर गौर कर रहे हैं। इतनी क्षमता की रिफाइनरी छोटी होती हैं। अगर हम बड़े आकार की रिफाइनरी लगाने की योजना बनाते हैं, तब जमीन अधिग्रहण और अन्य मसले आएंगे।''

उन्होंने कहा, ''हमें 45 करोड़ टन सालाना क्षमता का लक्ष्य हासिल करने के लिये छोटे आकार की रिफाइनरियों के साथ कुछ और नीतिगत निर्णय लेने की जरूरत है।''

मंत्री ने कहा कि भारत आने वाले समय में ऊर्जा का केंद्र होगा और पर्यावरण अनुकूल दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमें ऐसी रिफाइनरियों की जरूरत है, जो पेट्रोरसायन, हरित हाइड्रोजन आदि बनाएं।

जैवईंधन के पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन में मिश्रण के बारे में उन्होंने कहा, ''हर प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह सब प्रयोगशालाओं में हो रहा है। यह सब बाजार में हो रहा है।

पुरी ने एक प्रतिशत जैवईंधन विमान ईंधन में मिलाये जाने का उल्लेख किया। उन्होंने इसके कृषि पर पड़े सकारात्मक प्रभाव को लेकर खुशी जतायी।

 

 

पी-नोट्स के जरिये निवेश अप्रैल में चार महीने के उच्चस्तर 95,911 करोड़ रुपये पर

नई दिल्ली
 पिछले दो महीनों में भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश में तेजी देखी गई है। अप्रैल अंत में यह आंकड़ा बढ़कर 95,911 करोड़ रुपये हो गया।

यह नवंबर, 2022 के बाद का उच्चस्तर है। उस समय पी-नोट्स के जरिये निवेश 96,292 करोड़ रुपये था। विशेषज्ञों ने कहा कि यह निवेश मुख्य रूप से देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि से प्रेरित है।

पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट्स जारी करते हैं, जो खुद सीधे पंजीकृत हुए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें एक निश्चित प्रक्रिया से गुजरना होता है।

सेबी के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये किए गए निवेश का मूल्य (इक्विटी, बॉन्ड और मिश्रित प्रतिभूतियां) मार्च के अंत में 88,600 करोड़ रुपये था और यह आंकड़ा अप्रैल के अंत में बढ़कर 95,911 करोड़ रुपये हो गया।

इससे पहले पी-नोट्स के जरिये निवेश फरवरी के अंत में 88,398 करोड़ रुपये और जनवरी के अंत में 91,469 करोड़ रुपये था।

सैसनलाइन के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्रेय जैन ने कहा कि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि के चलते पी-नोट्स के जरिये निवेश में वृद्धि हुई है। इस वजह से भारत एफपीआई निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है।

 

 

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button