लाखों परिवारों के घर में नल-जल के साथ पहुँच रही हैं ख़ुशियाँ
लंबी दूरी, बड़ी क़तारें बन रही हैं इतिहास
अब तक 59 लाख से अधिक परिवारों तक पहुँचा नल से जल
भोपाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हर घर तक नल से शुद्ध जल पहुँचाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार पूरी ऊर्जा के साथ अनवरत कार्य कर रही है। इसी का परिणाम है कि मध्यप्रदेश को चौथे राष्ट्रीय जल पुरस्कार में उत्कृष्ट राज्य श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। जल-संसाधन के बेहतर उपयोग, जल-संरचनाओं के संरक्षण एवं संवर्धन में उत्कृष्ट कार्य के लिए मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2022 की सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में प्रथम स्थान के लिये चुना गया है। यह पुरस्कार यह बताता है कि मध्यप्रदेश प्रकृति के उपहारों का सम्मान करना जानता है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के बुरहानपुर ज़िले को जल जीवन मिशन में देश के पहले शत-प्रतिशत हर घर जल प्रमाणित ज़िला होने का गौरव प्राप्त है। मिशन का उद्देश्य पेयजल की नल-जल के माध्यम से घर-घर तक पहुँच के साथ दीर्घकालिक जल-स्त्रोतों का निर्माण, जल-संरक्षण और सतत संवहनीय रूप से जल के प्रबंधन पर कार्य करना है। जल का बेहतर प्रबंधन, जल-स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन में जन-जागरूकता एवं जन-भागीदारी मिशन का महत्वपूर्ण घटक है।
मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 59 लाख 12 हज़ार 642 परिवारों के करोड़ों नागरिकों को नल से घर में ही जल प्राप्त हो रहा है। ग्रामीण जन को नल से प्राप्त शुद्ध जल, स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही महिलाओं-बेटियों को राहत प्रदान कर उनके सशक्तिकरण में उपयोगी साबित हो रहा है। मिशन में ग्रामीणजन को जल के उचित उपयोग एवं जल-स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन में जागरूक भी किया जा रहा है। ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से इसे औपचारिक स्वरूप भी प्रदान किया गया है। इन समितियों में 50 प्रतिशत महिला भागीदारी है। मध्यप्रदेश में अब तक 31 हज़ार 175 ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति गठित हो चुकी हैं। यह समितियाँ जल-स्त्रोतों के सतत् एवं संवहनीय उपयोग की दिशा में कार्य करते हुए जल के उचित प्रबंधन का कार्य कर रही हैं।
कुल मिलाकर जल जीवन मिशन प्रदेश में पेयजल सुविधा के साथ नागरिकों के जीवन में ख़ुशहाली एवं उनके सशक्तिकरण का एक जन-आंदोलन बन गया है। प्रदेश के हर कोने से महिलाओं, बेटियों, वरिष्ठजन की जुबानी यही बात बयाँ होती है।
बेटी को पानी भर कर नहीं लाना पड़ेगा और वह लिख-पढ़ सकेगी
ग्वालियर जिले की भितरवार जनपद पंचायत के ग्राम मऊछ निवासी मती उमा किरार बताती हैं कि मैंने अपनी जिंदगी का अधिकांश समय पानी ढोते-ढोते गुजारा है। मैं ऐसी अकेली ग्रामीण महिला नहीं हूँ। मेरी जैसी अनेक महिलाएँ हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी पानी के लिए भटकती आई हैं। मुझे खुशी है मेरी बिटिया को यह परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। नल-जल योजना शुरू होने से हमारे गाँव की फिजा में खुशियों के रंग घुल गए हैं। डेढ़ हजार की आबादी वाले मऊछ–रिछैरा गाँवों में जल जीवन मिशन में लगभग एक करोड़ की लागत की नल-जल योजना से 210 परिवारों के घर में अब नल से जल पहुँच रहा है। वे आगे जोड़ती है कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी घर में नल से साफ पानी मिलेगा। अब मैं ही नही मेरी बेटी को भी पानी लेने कहीं जाना नहीं पड़ेगा। वह मन लगा कर पढ़-लिख सकेगी।
नल-जल से दूर हुई पानी की क़िल्लत
देवास जिले के बड़े ग्राम जमुनिया में 425 परिवार निवास करते हैं। यहाँ जल की व्यवस्था कठिनाइयों एवं संघर्ष से भरी थी। ग्रामवासी निजी ट्यूबवेल एवं कुओं के भरोसे थे। जल जीवन मिशन से आज 3450 मीटर लंबी पाईपलाईन से ग्राम के हर-घर में पेयजल उपलब्ध हो रहा है। सरपंच बालुदेवाने बताते हैं कि मिशन में नल-जल योजना से मार्च 2023 से लगातार भरपूर जल मिल रहा है। पहले गाँव वाले जंगल में बनी कुंडी से पानी लाने के लिये विवश थे। कुछ परिवारों के निजी नलकूप से अन्य पानी की व्यवस्था करते थे। अब घर में ही पानी मिल रहा है, जिसकी गुणवत्ता एवं समय-समय पर जाँच के लिये ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति के सदस्य सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
नल-जल से आजीविका गतिविधियों के लिये मिला अतिरिक्त समय
मिशन में अनूपपुर ज़िले के ग्राम कुशियारा में 154 परिवार को घरेलू नल कनेक्शन देकर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। मती इन्द्रवती बताती हैं कि पहले हैण्ड पंप से पानी लाने के लिए एक किमी दूर जाना पड़ता था। इसमें समय लगने से खेती का काम प्रभावित होता था। घर पर ही नल से जल मिलने से समय भी बचा है और खेती में भी सुविधा हो गई है। गाँव की ही शांति बाई की किराना दुकान है। उन्हें पहले दुकान छोड़ कर पानी लेने के लिए जाना पड़ता था। अब पानी की सुविधा घर पर ही मिलने से वे दुकान के साथ बच्चों की पढ़ाई के लिये भी समय दे पा रही हैं। इसी गाँव की मती सोमवती चने का ठेला लगाती हैं। पानी घर पर ही उपलब्ध हो जाने से वे समय पर चने का ठेला लगा पा रही है, जिससे परिवार का बेहतर भरण-पोषण हो रहा है।
इस तरह हर घर नल-जल की सुविधा परिवार के सभी सदस्यों के जीवन को सहज एवं सुगम बना रही है। साथ ही जल के ज़िम्मेदारी पूर्ण उपयोग और पर्यावरण-संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है।