दिल्ली के व्यापारियों के लिए गुड न्यूज, 4000 दुकानों से जल्द हटेगी सील; केजरीवाल सरकार की सहमति के बाद एक्शन में आई MCD
नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में करीब चार हजार दुकानों की सीलिंग जल्द खुलने की उम्मीद है। केजरीवाल सरकार व्यापारियों के हित में एक नीति बनाकर सील हटाने को तैयार है। अब केवल दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फैसला लेना है। बताया जा रहा है कि सरकार के निर्देश पर एमसीडी भी सहमत हो गई है कि न्यूनतम जुर्माने के साथ सील हटा दी जाए। व्यापारिक संगठनों के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री एक दौर की बैठक कर चुके हैं। जल्द ही नगर निगम की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय और अन्य अधिकारियों के बीच बैठक होनी है, जिसके बाद अंतिम निर्णय होगा।
वर्ष 2012 के बाद निगम ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक संपत्तियों को सील किया। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी कमेटी का हवाला देकर सीलिंग की गई। व्यापारी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने उन संपत्तियों को सील करने के लिए कहा था जो अवैध तरीके से बनी या स्वीकृत मानचित्र से अतिरिक्त निर्माण कर दिया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नाम पर अवैध तरीके से भी संपत्तियों को सील किया गया। इसको लेकर व्यापारियों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, परंतु यह प्रक्रिया इतनी लंबी हो गई कि उसके बाद सील की गई संपत्तियों पर जुर्माने की राशि बढ़कर आठ से 10 गुना तक हो गई।
ऐसे में व्यापारी भारी भरकम जुर्माना जमा करने में सक्षम नहीं हैं, जिसके चलते सील खुल नहीं सकती। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार व्यापारियों की मांग पर सहमत है कि एक न्यूनतम जुर्माने के बाद इन्हें खोलने की इजाजत दे दी जाए। 2018 में संशोधन : फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन परमजीत सिंह पम्मा कहते हैं कि 2018 में एमसीडी ने संशोधन किया, जिसमें कहा गया कि जो संपत्ति कमर्शियल यू जोन में आती हैं, उनसे कन्वर्जन शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली संपत्ति का हवाला देकर दुकानें सील की गईं। अब जुर्माना इतना अधिक हो गया कि उसे भरने के लिए व्यापारी को अपनी दूसरी संपत्ति बेचनी पड़ जाए।
ये है स्थिति
● बीते छह वर्षों के दौरान कन्वर्जन शुल्क समेत अन्य नियमों के उल्लंघन में लगाई थी सील
● ऐसी संपत्तियों को भी सील किया गया, जिन पर कन्वर्जन शुल्क ही नहीं लगता था
● एक हजार संपत्ति मिश्रित भू-उपयोग और मानचित्र के विपरीत बनाने पर सील हुई
ये बाजार प्रभावित
ग्रीन पार्क, एन-ब्लॉक ग्रेटर कैलाश, हौजखास, राजेंद्र नगर, सदर बाजार, रोहिणी, गांधी नगर, महिपालपुर समेत अन्य इलाके।
व्यापारियों के साथ मंथन कर निकाल रहे समाधान
सील की गई दुकानों को सरकार खोलने के पक्ष में है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि सरकार चाहती है कि व्यापारियों को राहत मिले। बीते दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ व्यापारियों ने चर्चा की थी, जिसमें उन्होंने भरोसा दिया कि सरकार उन्हें राहत देने की दिशा में काम कर रही है। उसके बाद नगर निगम से भी कहा गया है कि वो अलग से नीति बनाकर इन दुकानों को जल्द से जल्द खोलने का काम करे।
अवैध तरीके से कार्रवाई करने का आरोप लगाया
डिफेंस कॉलोनी स्थित बाजार में 22 दिसंबर 2017 को एक साथ 41 दुकानों को निगम ने सील किया था। स्थानीय व्यापारी जगदीश गुप्ता कहते हैं कि 1971 में दुकान ली थी, जिसकी सीलिंग के समय कीमत करीब तीन करोड़ रुपये थी, जिसमें कपड़े का शोरूम चल रहा था। हमारा पूरा बाजार व्यावसायिक था, जो मास्टर प्लान के तहत स्वीकृत हुआ। शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से इस बाजार को बेचा गया था, जिस समय एमसीडी भी नहीं थी, लेकिन 2017 में एमसीडी ने कन्वर्जन चार्ज बताकर सील लगा दी।
सदर बाजार में भी कई संपत्तियों को सील किया
मास्टर प्लान के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर किसी क्षेत्र में 70 फीसदी से अधिक आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं तो उसे स्वयं ही व्यावसायिक क्षेत्र माना जाए, लेकिन सदर बाजार के मामले में ऐसा नहीं किया गया। जनवरी में करीब 25 भवनों में चल रही दुकानों को आवासीय क्षेत्र की बताकर सील कर दिया गया। अब एमसीडी के अधिकारी भी मानते हैं कि सीलिंग करने में जल्दबाजी की गई लेकिन अब सीलिंग हो गई है तो उसे नियमों के तहत ही खोला जा सकता है।