गैंगस्टर जीवा की पत्नी को लगा SC से झटका, सरकार बोली- अंतिम संस्कार में शामिल होती तो नहीं करते गिरफ्तार
लखनऊ
लखनऊ की एक अदालत में गोलीबारी के दौरान मारे गए गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा का बीते दिन अंतिम संस्कार कर दिया गया है। गैंगस्टर जीवा के अंतिम सरकार में उनकी पत्नी पायल शामिल नहीं हुई हैं। यह जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी है।
सुप्रीम कोर्ट से पायल को झटका
उधर, जीवा की पत्नी के वकील ने जीवा के तेरहवीं तक पायल की गिरफ्तारी से राहत मांगी थी। इसपर SC ने कोई आदेश देने से मना कर दिया है।
यूपी सरकार बोली- पायल को नहीं करते गिरफ्तार
सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए यूपी सरकार ने कहा कि गैंगस्टर संजीव जीवा का कल अंतिम संस्कार कर दिया गया है। सरकार ने बताया कि परिवार को सूचना दे दी गई थी कि उसकी पत्नी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। फिर भी वह वहां मौजूद नहीं रही। गैंगस्टर के बेटे ने जीवा का अंतिम संस्कार किया।
इसी के बाद पति के दाह संस्कार के लिए पत्नी पायल ने अपने खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की थी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की एक पीठ ने राज्य सरकार की दलीलों पर ध्यान दिया कि जीवा का अंतिम संस्कार गुरुवार को किया गया था और उसका बेटा अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, जबकि मारे गए गैंगस्टर की पत्नी पायल माहेश्वरी ने दूर रहने का फैसला किया।
वहीं पायल के वकील ने बेंच से गिरफ्तारी के खिलाफ सुरक्षा के लिए उसकी याचिका पर विचार करने का आग्रह किया। बेंच ने उसकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। बेंच का कहना है कि याचिका को उसके पति के अंतिम संस्कार के मद्देनजर तत्काल सुनवाई की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा कि स्टैंड लगातार बदल रहा है। मामले को अवकाश के बाद सूचीबद्ध होने दें। छुट्टी के दौरान सुनवाई की कोई जल्दी नहीं है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने पीठ को सूचित किया कि पायल ने अपने पति के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने का फैसला किया जबकि राज्य ने एक दिन पहले अदालत को कहा था कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। वह गिरोह की नेता है। उसका पति जेल में बंद था, लेकिन वह गिरोह को बाहर से चला रही थी। गौरतलब हो की जीवा की बुधवार को लखनऊ सिविल कोर्ट में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
48 वर्षीय जीवा पर दो भाजपा नेताओं, ब्रह्म दत्त द्विवेदी और कृष्ण नंद राय की हत्या सहित कई आपराधिक मामले दर्ज थे। जबकि उन्हें 1997 में द्विवेदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था, उन्हें 2005 में राय की हत्या में बरी कर दिया गया था।