इंदौर में नकली नोट छापने वाले गैंग का भंडाफोड़
इंदौर
इंदौर पुलिस ने नकली नोट छापकर मार्किट में चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस की दबिश के बाद पकड़े गए आरोपियों के सरगना ने एक नया खुलासा किया है। सरगना ने पुलिस को बताया कि वह नोट की डिलीवरी देने के बाद सामने वाली पार्टी को नोट को हल्दी के पानी में से निकलने को कहता था। आरोपी गैंग यवतमाल, खंडवा और उज्जैन में अब तक लाखों रुपये के फर्जी नोटों को चला चुका है। आरोपी द्वारा पूछताछ में कई खुलासे करते हुए। उसने बताया है कि वह नोटों की डिलीवरी चार्टर्ड बस की सहायता से भी करता था। जब भी सैंपल भेजना होते थे शहर के बाहर बसों की सहायता से उन सैंपलों को भेजता था।
एडिशनल डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि मार्च और अप्रैल माह में उसने 2000 के नोट चलाए थे। जिसके बाद आरबीआई द्वारा नोट वापस जमा करने का समय देने के बाद 2000 के नोट छापने बंद कर दिए थे। आरोपी द्वारा 50 के नोट भी कई बार छापे है, उन्हें भी बाजारों में चलाया है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी जब 500 और 100 के नोट छापने के बाद जब भी वह डिलीवरी देने जाते थे तो सामने वाली पार्टी का स्टिंग ऑपरेशन करता था। एक स्पाई कैमरा भी आरोपी के पास से बरामद हुआ है और एक फोटो कैमरा बरामद हुआ है। जिसमें 500 और 100 के नोट छापने के बाद वह उन्हें फोटो खींचकर रखता था। हालांकि उसकी मेमोरी कार्ड अभी आरोपी के पास बरामद नहीं हुई है।
नोटों के डिलीवरी के टाइम बनता था वीडियो
आरोपी द्वारा स्पाई कैमरे की सहायता से इसलिए स्टिंग किया जाता था कि सामने वाली पार्टी को कितने रुपए दिए हैं और कितना रुपया सामने वाले के पास गया है। यह वह पूरा रिकॉर्ड रखना था लेकिन स्पाई कैमरे की मेमोरी कार्ड पुलिस को नहीं मिली है। वहीं पुलिस सब आरोपी की मेमोरी कार्ड जो कि उसने स्पाई कैमरे में लगाई थी उसकी पुलिस खोजबीन कर रही है।
आरोपी ने पुलिस को यह भी बताया कि उसका यह नोट छापने का काम बाद में शुरू हुआ। साल 2003 में वह भोपाल में बैंक के नकली डिमांड ड्राफ्ट बनाता था। साल वर्ष 2009 में उसने देवास में फर्जी डीडी बनाकर गाड़ी भी फाइनेंस करवा ली थी लेकिन वह पकड़ा गया था। इसके बाद आरोपी द्वारा नोट छापने का काम शुरू किया उसने महंगे प्रिंटर बैंक से फाइनेंस कराने के बाद यह प्रिंटिंग का काम शुरू किया था।
कर्ज के बोझ में दबा फिर शुरू किया गोरखधंधा
पकड़े गए मुख्य आरोपी द्वारा पुलिस को यह भी बताया गया कि वह दो बार नकली डिमांड ड्राफ्ट छापने में पकड़ा गया था। इस कारण से उसके ऊपर अधिक कर्ज हो गया था। कर्ज उतारने के लिए उसने नोट छापने का काम शुरू किया था। यदि पुलिस समय रहते आरोपी को नहीं पड़ती तो 50 लाख के नोट बनाने का पूरा सामान उसके पास तैयार हो रहा था।
बैतूल का रहने वाला है मुख्य सरगना
एडिशनल डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने बताया कि नकली नोट छापने वाला मुख्य सरगना राजेश बरपेते निवासी बैतूल को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। आरोपी के फ्लैट पर जब पुलिस ने छापेमार कार्रवाई की तो उसके यहां प्रिंटर, स्कैनर और नोट छापने का काफी सामान भी बरामद हुआ है। आरोपी इतना शातिर था कि एक सीरीज के नोट छापने के बाद उसे हटा दिया करता था और फिर उसे बाजार में चलता था। वहीं आरोपी एक ही दुकान पर बार-बार नोट को चलाता था। इस कारण से मुखबिर को यह जानकारी लगी और उसने पुलिस को बताया। पुलिस द्वारा राजेश बरपेते सहित अन्य साथियों को गिरफ्तार किया है।
पहले बना चुका है अपने ही मौत का सर्टिफिकेट
गैंग के सरगना राजेश ने अगस्त 2020 में अपने आप को मृत घोषित करने के बाद अपनी एक नई पहचान बनाई। अशोक चौहान नाम से फर्जी दस्तावेज बनाएं और उसने फर्जी नोट बनाने का काम शुरू कर दिया। पुलिस ने जब आरोपी राजेश से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने यूट्यूब और अन्य माध्यमों से यह नोट बनाना सीखा है। वहीं पहले तो वह स्टांप पेपर खरीदकर उसकी कटिंग कर बाकायदा उस पर नोट प्रिंट करता था। पुराने कुछ स्टांप आते हैं उनमें एक स्ट्रिप लगी होती है जो कि नोट बनाने के लिए काफी आसान होती थी। लेकिन जब स्टांप महंगे पड़ने लगे तो आरोपी द्वारा बॉन्ड पेपर खरीदकर उन पर नोटों की प्रिंटिंग शुरू की। आरोपी एक असली नोट के बदले वह 5 नकली नोट दिया करता था।