अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय में विद्यार्थीयों का भविष्य दांव पर, एक सत्र बाद हुए एग्जाम
भोपाल
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में लेटलतीफी का यह आलम है कि एक सत्र बीतने के बाद परीक्षाएं कराई गई हैं। इसके बाद प्रदेशभर के विद्यार्थियों की प्रायोगिक परीक्षाएं अभी तक नहीं कराई गई हैं। इससे प्रदेश के 220 अध्ययन केंद्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यहां तक प्रैक्टिकल के संबंध में कोई सही जानकारी देने के लिए अधिकारी तैयार नहीं हैं।
हिंदी विश्वविद्यालय में अफसरों के पास कोई ज्यादा वर्कलोड नहीं होने के बाद भी समय पर विद्यार्थियों की परीक्षाएं पूर्ण नहीं करा सके हैं। हिंदी विवि के समूचे प्रदेश में करीब 220 अध्ययन केंद्र बने हुए हैं। इसमें हजारों की संख्या में विद्यार्थी प्रवेशरत हैं। इसके बाद भी आईटी प्रभारी भरत बाथम विद्यार्थियों की एक साल बाद परीक्षाएं पूरी नहीं करा सके हैं।
उन्होंने सत्र 20021-22 की थ्यौरी परीक्षाएं गत माह कराई हैं। अभी प्रदेशभर के विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल होना शेष है। जबकि नियम कहता है कि थ्यौरी परीक्षाएं के पूर्व या परीक्षाएं होने के एक साप्ताह बाद प्रैक्टिकल पूर्ण हो जाना चाहिए। लेटलतीफी का यह आलम है कि अभी तक प्रैक्टिकल लेने की रुपरेखा तक तैयार नहीं की गई है।
अन्य विश्वविद्यालयों के मुकाबले फीस भी ले रहे ज्यादा
विद्यार्थियों का कहना है कि उन्होंने सत्र 2021-22 में हिंदी विवि के कई डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लिए थे। प्रथम सत्र की की परीक्षाएं गत वर्ष हो जाना थी, जो गत माह ली गई हैं। उनका सत्र साल पीछे चला गया है। वर्तमान में सत्र 2022-23 सत्र में प्रवेशरत विद्यार्थियों की परीक्षाएं होना थीं, जो अभी तक नहीं ली गई हैं।
इसलिए विद्यार्थी हिंदी विवि के कोर्स में प्रवेश लेकर अपने आप को फंसा हुआ मान रहे हैं। क्योंकि इतनी समय-सीमा में वे किसी अन्य विवि का डिप्लोमा लेकर अपना रोजगार शुरू कर देते। विद्यार्थियों का कहना है कि अन्य विवि के मुकाबले हिंदी विवि के कोर्स की फीस भी काफी ज्यादा है।