ब्लैक टाइगर से सरबजीत सिंह तक… भारत-पाकिस्तान के बीच जासूसी के 5 सबसे चर्चित मामले
नई दिल्ली
कहते हैं कि दुश्मन देश को जंग में मात देने से बेहतर विकल्प है- जासूसी। जासूस भेजकर भेद खोल दीजिए और उस मुल्क को बर्बाद कर दीजिए। दुनियाभर के देशों में जासूसी कोई नई बात नहीं है। बात अगर भारत-पाकिस्तान की जाए तो यहां भी जासूसी के कई प्रकरण सामने आए। लेकिन, भारत और पाकिस्तान के बीच जासूसी के पांच ऐसे सबसे चर्चित मामले हैं, जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थी। इसमें ब्लैक टाइगर का वो फिल्मी किस्सा भी है तो कुलभूषण जाधव और सरबजीत जैसे भारतीय नागरिकों पर लगे जासूसी के झूठे आरोप भी हैं।
दरअसल, कुछ महीने पहले पाकिस्तान से अपने चार बच्चों को लेकर भारत पहुंची सीमा हैदर केस के सामने आने के बाद जासूसी का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। जासूसी के शक में यूपी एटीएस की पूछताछ पूरी हो चुकी है और अब जल्द ही सरकार मामले में फैसला लेगी कि सीमा को पाकिस्तान भेजा जाएगा या नहीं? भारत और पाकिस्तान के बीच जासूसी के मामले काफी हॉट मुद्दा रहा है। इसमें रविंद्र कौशिक जैसा दिलेर भी शामिल है, जिस पर बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान मूवी तक कर चुके हैं। सरबजीत और कुलभूषण जाधव का केस भी है, जब झूठे आरोपों में फंसाकर पाकिस्तानी हुकूमत ने इनके साथ ज्यादती की।
कुलभूषण जाधव
भारत और पाकिस्तान के बीच जासूसी इतिहास में सबसे ताजा मामला कुलभूषण जाधव का है। वह एक भारतीय नागरिक हैं जो पाकिस्तान में मौत की सजा पर हैं। उन पर भारत की खुफिया एजेंसी के इशारे पर पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी और तोड़फोड़ की गतिविधियां चलाने का आरोप है। हालांकि भारत ने आरोपों से इनकार किया है। पाकिस्तान का दावा है कि पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, भारतीय पक्ष का कहना है कि उसका ईरान से अपहरण कर लिया गया था, जहां वह नौसेना से "समयपूर्व सेवानिवृत्ति" के बाद बंदरगाह शहर चाबहार में व्यवसाय चला रहा था।
भारत ने 18 मई, 2017 को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के बाद पाकिस्तान ने फांसी पर रोक लगा दी थी। अदालत ने 17 जुलाई 2019 को मामले में अपना फैसला सुनाया, और जाधव की रिहाई के लिए भारत की अपील को खारिज कर दिया। पाकिस्तान को फांसी की सजा निलंबित करने का आदेश दिया। आईसीजे ने फैसला सुनाया कि पाकिस्तान को जाधव के मुकदमे और सजा की पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करनी होगी और भारत को राजनयिक पहुंच प्रदान करनी होगी। आदेश के बाद, इस्लामाबाद ने जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान की गई। 2 सितंबर 2019 को, भारतीय प्रभारी गौरव अहलूवालिया ने पाकिस्तानी उप-जेल में जाधव से मुलाकात की। उनकी गिरफ्तारी के लगभग एक महीने बाद, पाकिस्तान ने जाधव का एक वीडियो जारी किया जिसमें वह जासूस होने की बात कबूल कर रहे हैं। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने वीडियो को खारिज करते हुए कहा कि यह छेड़छाड़ किया गया और फर्जी है।
रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर
भारत और पाकिस्तान के बीच जासूसी के इतिहास में सबसे अधिक चर्चित नाम रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर का है। इनकी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। माना जाता है कि सलमान खान की फिल्म- एक था टाइगर मूवी रविंद्र कौशिक की कहानी से ही प्रेरित है। रवीन्द्र कौशिक भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के जासूस थे, जिन्होंने पाकिस्तान के कई राज भारत तक पहुंचाए। वह पाकिस्तानी सेना में भी भर्ती हुए और सेना में मेजर रैंक तक पहुंचे। रविंद्र कौशिश के जासूस होने का राज पाकिस्तानी सेना को तब मालूम हुआ, जब एक अन्य जासूस पाक के हत्थे चढ़ा। उसने पाकिस्तानियों के जुल्म के आगे सबकुछ उगल दिया। रविंद्र कौशिश 1983 को पकड़े गए। वो करीब 30 साल तक पाकिस्तान के जुल्म सहते रहे लेकिन, उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला। उन्होंने आखिरी सांस तक यह नहीं बताया कि क्या-क्या इंफॉर्मेशन पाकिस्तान तक पहुंचाई। रविंद्र ने पाकिस्तानी सेना के एक बड़े अधिकारी की बेटी से शादी भी की। रविंद्र कौशिक की टीबी बीमारी से 2001 में जेल में ही मौत हो गई थी।
सुरजीत सिंह
पाकिस्तान में 30 साल से अधिक समय तक कैद में रहने के बाद सुरजीत सिंह 2012 को भारत लौटे थे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्वीकारा कि वह वास्तव में रॉ के जासूस थे और उन्हें भारत से पाकिस्तान जासूसी के लिए भेजा गया था। बात 1980 के दशक की शुरुआत की है, जब जासूसी के आरोप में पाकिस्तान ने सुरजीत को गिरफ्तार किया। उन्हें लाहौर की कोट लखपत जेल में रखा गया था।
कश्मीर सिंह
35 सालों तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहे कश्मीर सिंह ने साल 2008 में स्वीकारा था कि वह भारतीय जासूस थे और उन्होंने देश की सेवा करने की पूरी कोशिश की, लेकिन इस बात पर अफसोस जताया कि केंद्र की लगातार सरकारों ने उनके परिवार के लिए कुछ नहीं किया। कश्मीर सिंह को साल 1974 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने भारत आने के बाद केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि जब वे जेल में थे, सरकार ने उनके परिवार की सुध तक नहीं ली।
सरबजीत सिंह
वर्ष 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में बम विस्फोटों के आरोप झेलने के बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भारत के सरबजीत सिंह को मौत की सजा सुनाई थी।