नौकरी लगाने के नाम पर फर्जीवाड़ा उजागर
कोर्ट के आदेश पर एमडी समेत 5 के खिलाफ FIR कराई दर्ज
भोपाल। प्रदेश में संचालित एम्बुलेंस सेवा से जुड़ी अशासकीय संस्था के को आरोपी बनाया, भोपाल कोर्ट ने दिए आदेश के बाद एफआईआर दर्ज, एमडी समेत पांच लोगों पर चौथी बार दर्ज की गई एफआईआर l
सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति लाने के नाम पर निजीकरण के दरवाजे खोले थे। इसमें कई तकनीक के जरिए फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। अब यह सामने आ गया है। घटना प्रदेश की राजधानी भोपाल की है जिसमें एफआईआर शहर के मिसरोद थाना में दर्ज की गई है। यहां थाने में आपातकालीन सेवा एम्बुलेंस की सेवा प्रदाता एजेंसी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस (Jay Ambey Emergency Service) के खिलाफ जालसाजी और गबन का मुकदमा दर्ज हुआ है। यह प्रकरण भोपाल कोर्ट के आदेश (Bhopal Court Order) पर दर्ज किया गया है। कंपनी पर आरोप है कि युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर वह रकम ऐंठ रही थी।
कोर्ट ने इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए
मिसरोद थाना पुतिस के अनुसार 18 अगस्त की शाम लगभग सवा पांच बजे प्रकरण 311/24 दर्ज किया गया है। इसमें धारा 406/420/506/34 (गबन, जालसाजी, धमकाना और एक से अधिक आरोपी) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले की शिकायत छिदवाड़ा (Chhindwara News) जिले के नरसिंहपुरा रोड स्थित बालाजी नगर निवासी महेंद्र सिधारे (Mahendra Singhare) ने की थी। वह पहले भोपाल में पुलिस अधिकारियों को शिकायत कर चुका था। उसकी शिकायत पर जब सुनवाई नहीं हुई तो वह भोपाल कोर्ट में पहुंचा। घटना दिसंबर, 2021 में शुरु हुई थी। उसने कोर्ट को बताया कि जय अंबे इमरजेंसी सर्विस ने अखबारों में ईएमटी पद (EMT Post Fraud) के लिए विज्ञापन निकाला था। जिसके बाद चयनित युवाओं को मिसरोद स्थित कैपिटल मॉल (Capital Mail) के दफ्तर पर बुलाया गया। यहां युवाओं से साढ़े ग्यारह हजार रुपए की डीडी यह बोलकर जमा कराई गई कि चयन नहीं होने पर वापस किया जाएगा। सिंघारे समेत कई लोगों ने यह डीडी (Bank DD Scam) जमा कराई थी। जिसके बाद उसको दो दिन तक प्रशिक्षण भी कंपनी ने दिया। उसके बाद उसे जॉब पर नहीं रखने का बोलकर निकाल दिया। उसने पैसा मांगा तो कंपनी ने रकम भी नहीं लोटाई थी। वह रकम मांगने जाता तो उसे धमकाकर भगा दिया जाता था। अब अदालत ने जय अंबे इमरेजेंसी सर्विस के एमडी धर्मेंद्र सिंह (Dharmendra Singh), उनके दो भाईयों जोगेंद्र सिंह (Jogendra Singh) और अमरेंद्र सिंह (Amrendra Singh), आपरेशन मैनेजर सुमित (Surrut) और चीफ फाइनेंस आफिसर अशोक मेहता (Ahok Mehta) के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए।