AIIMS के पूर्व डायरेक्टर बोलिए – भले ही लागत ज्यादा हो लेकिन हमें एक्शन लेने की जरूरत है।
नईदिल्ली
दिल्ली और इससे सटे शहरों में सोमवार को वायु गुणवत्ता फिर से खराब हो गई। राष्ट्रीय राजधानी में सुबह आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 338 था, जो रविवार को शाम चार बजे 301 दर्ज किया गया था। पड़ोसी शहरों गाजियाबाद (306), गुरुग्राम (239), नोएडा (308) और फरीदाबाद (320) में भी हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई। AIIMS के पूर्व डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वायु प्रदूषण एक मेडिकल इमरजेंसी है, भले ही लागत ज्यादा हो लेकिन हमें एक्शन लेने की जरूरत है।
मेदांता इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ रणदीप गुलेरिया ने प्रदूषण के प्रभाव । इस दौरान उनसे पूछा गया कि डॉक्टर वायु प्रदूषण के व्यापक प्रभाव की जांच कर रहे हैं। ये बड़े AQI नंबर वास्तव में कितने खतरनाक हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति खराब हवा में सांस लेता है और वह फेफड़ों में जा रही है, तो इससे उसका विकास रुक जाता है। ऐसे कई अध्ययन हैं जो बताते हैं कि ऐसे वातावरण में बच्चों के फेफड़ों की कार्यक्षमता बड़े समूह की तुलना में काफी खराब होती है। ऐसे आंकड़े भी हैं जो बताते हैं कि वायु गुणवत्ता में सुधार से इन बच्चों की क्षमता बढ़ जाती है।
खराब हवा में रहने वालों को कई बीमारियों का खतरा
डॉ गुलेरिया ने कहा, “डेटा बताता है कि खराब गुणवत्ता वाली हवा में रहने वाले लोगों के लिए टाइप दो डायबिटीज का भी रिस्क रहता है। मैंने पहले ही हृदय रोगों, स्ट्रोक और तंत्रिका संबंधी विकारों का उल्लेख किया है। कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि जब कोई लगातार वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहता है तो ऑस्टियोपोरोसिस और जोड़ों की समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।
जब हम वायु प्रदूषण का इतना उच्च स्तर देखते हैं तो क्या फ्लू शॉट्स आपको किसी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते हैं? इसके जवाब में गुलेरिया ने कहा, “फ्लू शॉट्स मूलतः इन्फ्लूएंजा संक्रमण (वायरल संक्रमण) के लिए हैं। वायरल संक्रमणों पर कुछ अध्ययन हैं जो COVID से संबंधित हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि चीन में जब 2003 में सार्स का प्रकोप हुआ था तो उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में जहां प्रदूषण का स्तर अधिक था, उनमें सार्स संक्रमण अधिक गंभीर था। जब इटली में कोविड-19 के शुरुआती दिनों में इसका प्रकोप हुआ, तो बाद के अध्ययनों से पता चला कि इटली के विभिन्न जिलों में ज्यादा मृत्यु दर उस नगर पालिका के उन क्षेत्रों से जुड़ी थी जहां हवा की गुणवत्ता खराब थी।”
‘अब हर कोई AQI के बारे में जागरूक’
उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक रूप से, उस दृष्टिकोण से फ्लू शॉट कम गंभीर संक्रमण के मामले में मदद कर सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय वायु प्रदूषण के लिए अपने दिशानिर्देशों में प्रदूषण से संबंधित बीमारियों की निगरानी की बात करता है। यह कैसे काम करता है और इन बीमारियों की निगरानी से कैसे मदद मिलती है? इसका जवाब देते हुए रणदीप गुलेरिया ने कहा, “इससे वास्तव में मदद मिली है कि अब हर कोई एक्यूआई के बारे में जागरूक है। पोर्टेबल उपकरणों के अलावा बड़ी संख्या में मॉनिटरिंग स्टेशन भी हैं। तो इससे वास्तव में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली है। आप उन व्यक्तियों को बता सकते हैं जो अधिक जोखिम में हैं। बुजुर्ग, बच्चे, उन्हें बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बता सकते हैं।”
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाएं
क्या ऐसा कुछ है जो प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए साल भर में किया जा सकता है? इसके जवाब में डॉक्टर ने कहा, “एक है नियमित यातायात पर ध्यान देना। इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत या बिक्री या कीमत पर सब्सिडी दें, जिससे वे इतने सस्ते हो जाएं कि लोग डीजल वाहनों के बजाय उनके लिए जाएं। यह बहुत कठिन नहीं है और इसके लिए एक बाज़ार है। इसी तरह, ऐसा समाधान खोजें जिसे किसान स्वीकार करने को तैयार हों या उन्हें पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन दें। सुनिश्चित करें कि कोई अवैध निर्माण न हो और निर्माण इस तरह से किया जाए कि धूल न उड़े। बहुत सारे हरे-भरे रास्ते रखें ताकि सड़क के किनारे की धूल हवा में न उड़े। यह चरण-दर-चरण प्रक्रिया है।”