यूपी के इन 10 शहरों के प्रस्तावित मास्टर प्लान में मिलीं खामियां, दिए गए ये निर्देश
लखनऊ
उत्तर प्रदेश के 59 शहरों के बन रहे मास्टर प्लान में जमीनों का भू-उपयोग प्रस्तावित किए जाने में खामियां धीरे-धीरे उजागर होने लगी हैं। लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी, आगरा, मेरठ, गोरखपुर, गाजियाबाद, बरेली व मुरादाबाद के मास्टर प्लान में मिली खामियों के आधार पर संशोधित करने के निर्देश दिए गए हैं।
कैसे प्रस्तावित कर दिया गया भू-उपयोग
मास्टर प्लान-2031 के प्रारूप का अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया गया। इसके आधार पर निर्देश दिया गया कि मास्टर प्लान में नो-कंस्ट्रक्शन जोन अनिवार्य रूप से चिह्नित किया जाए। रिवर सेंट्रिक प्लानिंग, ट्रांसफर डवलपमेंट राइट (टीडीआर) व ट्रांजिट ओरिएंटेड डवलपमेंट (टीओडी)क्षेत्र प्रस्तावित किए जाएं। राजस्व दस्तावेजों में दर्ज जलाशयों को चिह्नित किया जाए। हाईवे जोन, ट्रकों की एंट्री प्वाइंट, धार्मिक स्थलों पर आने-जाने के लिए पार्किंग स्थल आदि को चिह्नित किया जाए। खुले स्थान, हरित क्षेत्र, क्रीड़ा स्थल को इसे विकास प्राधिकरण की वेबसाइट पर प्रस्तुत कया जाए, जिससे लोगों को जानकारी मिल सके कि मास्टर प्लान में क्या है।
इनको ये दिया गया निर्देश
– लखनऊ: नजूल, राजकीय स्थान, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट, ग्राम समाज व अर्बन सीलिंग की जमीन गाटा संख्या व खसरा संख्या के आधार पर रखा जाए। हवाई अड्डा क्षेत्र सीमा विस्तार का स्पष्ट जिक्र जाए। भू-उपयोग बदलने और प्रस्तावित करने का स्पष्ट कारण बताया जाए।
– प्रयागराज: सिटी लाजिस्टिक व सिटी डवलपमेंट प्लान को शामिल किया जाए। मास्टर प्लान 2021 में प्रस्तावित रिंग रोड को शामिल किया जाएगा। मेट्रो रेल के लिए भी जरूरत के आधार पर व्यवस्था की जाए।
– वाराणसी: अस्सी नाले के दोनों तरफ प्रस्तावित ग्रीन बेल्ट का पुन: परीक्षण किया जाए। वरुणा नदी के दोनों ओर प्रस्तावित 150 मीटर ग्रीन बेल्ट प्रस्तावित है। बाढ़ के लिए संवेदनशीलता को देखते हुए नए सिरे से इसे तय किया जाए।
– गाजियाबाद: अर्थला मेट्रो स्टेशन के समीप आवासीय जमीन का भू-उपयोग व्यवसायिक कर दिया गया है। इसे स्पष्ट किया जाए और टीडीआर वर डीओडी नीति के अनुसार प्रस्तावित किया जाए। दुजाना ग्रामीण आबादी का विस्तार राजस्व दस्तावेजों के अनुसार दर्शाया जाए।
– मेरठ: नगरीय कृषि भू-उपयोग को स्पॉट जोनिंग करते हुए प्रस्तावित किया गया है। इसमें खाली स्थान व विकिसित हो चुके क्षेत्र को चिह्नित करते हुए विकास क्षेत्र में स्वीकृत नक्शे के अनुसार विनियमितीकरण की संभावनाओं के दृष्टिगत अध्ययन करते हुए प्रस्तावित किया जाए।
– बरेली: शहर के अंदर गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग मुख्य जिला मार्ग में बदल गया है। पूर्व में बने मास्टर प्लान में इसके दोनों तरफ 100 मीटर ग्रीन बेल्ट को 30 मीटर किया गया है। इसका नए सिरे अध्ययन करते हुए प्रस्तुत किया जाए।
– मुरादाबाद: शासकीय समिति द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर इसे संबंधित किया जाएगा
– कानपुर: प्रभावी मास्टर प्लान में प्रस्तावित 100 मीटर चौड़े रिंग रोड को 30 मीटर किया गया है। इसके साथ ही इसके आसपास सभी भू-भाग पर निर्मित भवनों का अध्ययन करते हुए नए सिरे से भू-उपयोग प्रस्तावित किया जाए।
– आगरा: यमुना नदी के किनारे प्रस्तावित ग्रीन बेल्ट को एनजीटी के निर्देशों के आधार पर मास्टर प्लान में शामिल किया जाए। प्रतिबंधित ऊंचाई को इसमें शामिल किया जाए।