पहले चर्च और अब दरगाहों पर नजर, कैसे 2024 के लिए भाजपा फेंक रही नए पत्ते? समझें
नई दिल्ली
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी अब खुद 'सबका साथ, सबका विश्वास' चाह रही है। इसी कड़ी में रविवार को ईस्टर के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली स्थित 'Sacred Heart Cathedral' चर्च पहुंचे। उनके अलावा उनकी पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने केरल में बिशप से मुलाकात की। ईस्टर पर बिशप से भेंट करने वालों में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पी.के. कृष्णदास भी शामिल थे।
बीजेपी के नेता अब लगातार अल्पसंख्यकों से संपर्क साध रहे हैं। शनिवार को भी बीजेपी के केरल प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने थमारसेरी के आर्कबिशप मार रेमिगियस पॉल इंचानयिल से मुलाकात की थी। एक अन्य वरिष्ठ नेता और बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष एएन राधाकृष्णन ने भी गुड फ्राइडे पर मलयाट्टूर चर्च उत्सव में भाग लिया था। यहां तक कि इस धर्मस्थल तक पहुंचने के लिए राधाकृष्णन मलयाट्टूर पहाड़ी पर भी चढ़ गए थे, लेकिन कथित तौर पर कुछ किलोमीटर के बाद वह रुक गए।
ऐसा नहीं है कि बीजेपी सिर्फ चुनावी राज्य कर्नाटक के पड़ोसी राज्य केरल में ही और सिर्फ ईसाई समुदाय को ही अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटी है। वह धार्मिक अल्पसंख्यकों में सबसे बड़ी आबादी वाले समूह यानी मुस्लिमों पर भी डोरे डाल रही है। बीजेपी पहले ही यूपी में चार मुस्लिमों को एमएलसी बना चुकी है। अब बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुस्लिम वोटरों तक पहुंच बनाने के लिए पूरे देश में सूफी संवाद महा अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान के तहत केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, बीजेपी के मुस्लिम नेता ईद के बाद कव्वाली सुनने दरगाह जाएंगे। योजना है कि कव्वाली कार्यक्रम में बीजेपी के नेता मुस्लिमों को यह बात समझाने की कोशिश करेंगे कि पीएम मोदी की सरकार में सभी योजनाओं का लाभ बिना किसी धार्मिक भेदभाव के मुसलमानों को भी दिया जा रहा है।
योजना है कि यूपी निकाय चुनाव के बाद सभी शहरों में सूफी संवाद का आयोजन किया जाएगा। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने इसके लिए सूफी दरगाहों और उनके खादिमों की सूची मंगवाई है। बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मिशन 400 का लक्ष्य रखा है। इसके लिए बीजेपी के नेता सभी समुदायों को साथ लेकर चलने और सभी का वोट पाने की जुगत में भिड़ी है। बीजेपी अल्पसंख्यकों पर लगातार अपना फोकस बढ़ा रही है। पिछले दिनों कर्नाटक के कलाकार शाह रशीद अहमद कादरी को पद्मश्री से सम्मानित किया था। इस अवसर पर कादरी ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता था कि बीजेपी की सरकार में कभी उन्हें ऐसा सम्मान मिलेगा। कर्नाटक में अगले महीने 10 मई को चुनाव है।
जाहिर है बीजेपी इसके जरिए 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के नारे को धरातल पर उतारने की बात साबित करना चाहती है तो दूसरी तरफ वह कर्नाटक चुनाव के साथ-साथ 2024 की लड़ाई में सबका साथ, सबका विश्वास भी पाना चाहती है।