धार्मिक

इस सप्ताह के त्योहार: बहुला गणेश चतुर्थी व्रत 2024 से रक्षापंचमी व्रत 2024 तक

अगस्त मास का यह सप्ताह व्रत त्योहार के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है। वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से हो रहा है और इस दिन ही रक्षा बंधन और सावन पूर्णिमा का पर्व भी है। रक्षा बंधन के साथ सप्ताह अशून्यशयन व्रत, बहुला गणेश चतुर्थी व्रत, रक्षा पंचमी व्रत, ललही छठ समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। साथ ही इस सप्ताह से कृष्ण पक्ष का आरंभ भी हो रहा है। व्रत त्योहार के साथ इस सप्ताह बुध कर्क राशि में गोचर करेंगे तो शुक्र कन्या राशि में गोचर करेंगे। आइए जानते हैं अगस्त मास के इस सप्ताह के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में…

श्रावण सोमवार व्रत, रक्षाबंधन (19 अगस्त, सोमवार)

उत्तर भारत के पंचांग अनुसार, इस दिन सावन का पांचवां और अंतिम सोमवार है। इस दिन श्रावणी उपाकर्म भी होगा। इस दिन भाई और बहनों का प्रिय पर्व रक्षाबंधन भी है। इस दिन दोपहर 1.24 बजे तक भद्रा है। इसीलिए इसके बाद ही रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपने पति भगवान विष्णु भगवान को मुक्त कराया था। इस दिन पंचक रात में 8.13 बजे लग रहा है।

अशून्यशयन व्रत (21 अगस्त, बुधवार)

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अशून्यशयन व्रत किया जाएगा। दरअसल चातुर्मास के चार महीनों के दौरान प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को यह व्रत किया जाता है। इस दिन कजरी के निमित्त रात्रि जागरण भी करना विशेष लाभदायक होता है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग को चिरायु बनाने के लिए रात्रि गीत आदि गाकर पति के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

संकष्टी बहुला श्रीगणेश चतुर्थी व्रत (22 अगस्त, गुरुवार)

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन ही संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत माना जाएगा। इस दिन विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न व परेशानी दूर रहती हैं। भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि, सौभाग्य का देवता माना जाता है और इस दिन गणेश पूजन करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। रात में चंद्रोदय 8.20 बजे होगा। इस दिन ही विशालाक्षी यात्रा भी होगी। इस दिन कजरी तीज भी मनाई जाएगी।

पंचक समाप्ति (23 अगस्त, शुक्रवार)

चंद्रमा के धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक पहुंचने पर पंचक काल प्रारंभ हो जाता है। धर्मशास्त्र अनुसार पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा, दाह संस्कार, लकड़ी तोना, चारपाई-खाट आदि बुनना सही नहीं माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। हिंदू पंचांग के आधार पर रात 1.17 बजे पंचक समाप्त हो जाएगा।

रक्षा पंचमी व्रत (24 अगस्त, शनिवार)

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रक्षा पंचमी व्रत माना जाता है। रक्षा पंचमी व्रत जन्माष्टमी से ठीक तीन दिन पहले मनाया जाता है। मान्यता है कि जो बहनें किसी कारणवश रक्षा बंधन के दिन भाई को राखी नहीं बांध पाईं, वह रक्षा पंचमी पर भाई की कलाई पर राखी बांधकर सकती हैं। इस रक्षा पंचमी व्रत का विशेष महत्व उड़ीसा में है। रक्षा पंचमी को नाग पंचमी और गोगा पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

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