राजनांदगांव
स्कूल प्रबंधन द्वारा अवैध रूप से फीस वसूली जा रही है जिसकी शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।जबकि सरकार ने पालको को मानमानी फीस वसूली से राहत देने छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 बनाया हुआ है। वहीं स्कूल फीस समिति का गठन किया गया लेकिन आदेश के बावजूद सत्र 2022-23 में स्कूल फीस समिति का गठन अब तक नहीं किया गया है।
निजी स्कूलों द्वारा अवैध फीस वसूली को लेकर राज्य सरकार ने जो अधिनियम बनाया हुआ है वह अभी तक धरातल पर सही ढंग से सख्ती के साथ लागू नहीं हो पाया है। जिसका सीधा लाभ आज भी प्रायवेट स्कूलों को मिल रहा है और पालक आज भी अपने आप को असहाय पा रहे है। जिले में सर्वेप्रथम इस कानून के प्रावधानों के अनुसार दिनांक 20/10/2020 को दो वर्ष के लिए स्कूल फीस समिति का गठन कराया था जिसका कार्यकाल वर्ष 2022-23 को समाप्त हो चूका था और पुन: सत्र 2022-23 में स्कूल फीस समिति और जिला फीस समिति का गठन कराया जाना था । लेकिन जिला शिक्षा अधिकारियों ने इसमें कोई रूचि नही ली नतीजा यह रहा कि निजी स्कूलों में बिना समिति का गठन कराए ही पालको से फीस वसूली जा रही है। जब छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने इस मामले की जानकारी प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को दी तो प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने समस्त कलेक्टर को तत्काल स्कूल समिति का गठन करने का निर्देश दिनांक 04/03/2022 को दिया था। इसके बावजूद भी जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा प्रभारी ने कोई रूचि नही दिखाई और सत्र 2022-23 में स्कूल फीस समिति और जिला फीस समिति का विधिवत गठन नही हो सका।डीईओं के संरक्षण में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस पालको से अवैध रूप से वसूली ।
वर्तमान में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी राजेश सिंह को भी छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने 19 अक्टूबर 2022 को इसकी लिखित जानकारी दी थी लेकिन उन्होने भी इस मामले में कोई रूचि नही दिखाई। सत्र 2022-23 में बिना स्कूल फीस समिति का गठन कराए ही शिक्षा विभाग ने प्रायवेट स्कूलों को फीस वसूलने दिया। अब जब छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन दोषियों के निलंबन की मांग कर रही है तो कलेक्टर भी कार्यवाही करने से पीछे हट रहे है क्योंकि जिला फीस समिति के अध्यक्ष कलेक्टर ही होते है, यानि जिम्मेदार उनकी भी थी और कलेक्टर को भी जिला शिक्षा अधिकारी ने सही जानकारी नही दी और सत्र 2022-23 में बिना स्कूल फीस समिति और बिना जिला फीस समिति का गठन कराए ही शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को फीस वसूलने दी। बिना फीस समिति के गठन कराए ही फीस वसूलने देना गंभीर प्रवृति का अपराध है क्योंकि यह ना सिर्फ कानून का उल्लघंन है बल्कि सीधे प्रायवेट स्कूलों को आर्थिक लाभ पंहुचाने का भी मामला बनता है।