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हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन का निधन, 98 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

नई दिल्ली
 भारत के प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का निधन गुरुवार को हो गया। उन्होंने चेन्नई में सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली। स्वामीनाथ ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन था। कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सन 1972 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

मैक्सिकन गेहूं की किस्म खोज बनाया आत्मनिर्भर

भारत कृषि प्रधान देश है। लेकिन इसके अकाल और सूखा की वजह से कई सालों तक यहां भुखमरी के हालात पैदा हुए। ऐसा माना जाने लगा कि कृषि प्रधान देश में भुखमरी से कभी निजात नहीं मिल पाएगा। लेकिन एम एस स्वामीनाथन ने देश की इस समस्या को पहचाना और इसका समाधान भी निकाला। उन्होंने सबसे पहले गेंहू की एक बेहतरीन किस्म की पहचान की। ये मैक्सिकन गेहूं की एक किस्म थी। उनके इस कदम के बाद भारत में भुखमरी की समस्या खत्म हुई। गेंहू उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बना। यही वजह है कि स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है।

कई पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
एम एस स्वामीनाथन की पहल के बाद हरित क्रांति के तहत देशभर के किसानों गेहूं और चावल के ज्यादा उपज वाले बीज लगाना शुरू किए। खेती में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल होना शुरू हुआ। वैज्ञानिक विधियों से खेती होना शुरू हुई। इसी का नतीजा था कि दुनिया का सबसे ज्यादा खाद्यान्न की कमी वाला देश महज 25 सालों में इस कलंक से उबरकर आत्मनिर्भर बन गया। आज हम दूसरे देशों को गेहूं और चावल निर्यात करते हैं। इस क्रांति का श्रेय एम एस स्वामीनाथन को जाता है। उन्हें कृषि और विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 1967 में 'पद्म श्री, 1972 में 'पद्म भूषण और 1989 में 'पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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