भोपालमध्यप्रदेश

किसान के बेटे को भी बनाना है उद्योगपति : कृषि मंत्री पटेल

कृषि के क्षेत्र में सरकार के 3 साल, सपनों को सच करने वाले

भोपाल

किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि किसान को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये सरकार प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सशक्त भारत के सपने को साकार करना है। किसान के बेटे को भी उद्योगपति बनाना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 21 अप्रैल, 2020 को हरदा के किसान विधायक पटेल ने कृषि मंत्री का पदभार ग्रहण किया था। प्रदेश के कृषक विकास की मुख्य धारा से जुड़ें एवं उनके जीवन स्तर में सुधार के लिये मुख्यमंत्री चौहान के मार्गदर्शन में सतत प्रयास हुए। तीन साल के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र में सपनों को सच करने वाले अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। किसानों को सरकार की नीतियों से लगभग हजारों करोड़ रूपये का अतिरिक्त लाभ हुआ है। इन वर्षों में प्रदेश में कृषि के परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव आया है। किसान समृद्ध और खुशहाल हुआ है। प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर पुरस्कार प्राप्त करने का भी रिकॉर्ड कायम किया है। कृषकों के परिश्रम से सिंचित हमारा प्रदेश नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

कृषि मंत्री पटेल ने विगत 3 साल में प्रदेश के किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिये मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में समन्वित प्रयास किये। मंत्री पटेल कहते हैं कि जब किसान समृद्ध होगा, तभी गाँव समृद्ध होगा और गाँव समृद्ध होगा, तो प्रदेश समृद्ध होगा। प्रदेश की समृद्धि में ही देश की समृद्धि है। किसान पुत्रों को किसानी के साथ-साथ उद्योगपति बनाने के लिये उन्हें सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों को उत्पादन के साथ ही उपज की ग्रेडिंग, सार्टिंग और मॉर्केटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है कि वे अपनी कृषि उपज से उद्योग लगा कर अन्य उत्पाद तैयार कर और अधिक दाम प्राप्त कर सकें। कृषि मंत्री पटेल कृषि से अधिक से अधिक लाभार्जन और कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये सभी समग्र उपाय करने के लिये संकल्पित होकर प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों को उनके उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं, अधिकतम समर्थन मूल्य (एमआरपी) दिलाना है।

किसानों के हित में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन के साथ पहली बार चना, मसूर, सरसों का उपार्जन किया जाना शुरू हुआ। इससे किसानों को उनकी उपज का पूरा-पूरा दाम मिलने लगा। ग्रीष्मकालीन मूंग भी समर्थन मूल्य पर उपार्जित की जाने लगी। इससे नर्मदा किनारे रहने वाले किसान निश्चिंत होकर ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल लेने लगे हैं। किसान प्रसन्न हैं कि इस वर्ष उनकी ग्रीष्मकालीन मूंग 7 हजार 755 रूपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीदी जायेगी। किसानों के हित में पहली बार प्रतिदिन प्रति किसान 25 क्विंटल गेहूँ उपार्जन की सीमा को भी खत्म किया गया है। चना, मसूर और सरसों की उपार्जन सीमा को भी 25 क्विंटल से बढ़ा कर 40 क्विंटल किया गया। इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ एक से अधिक बार उपज विक्रय के लिये ले जाने की परेशानी से मुक्ति मिली है।

कृषि मंत्री पटेल ने सतत कार्य करते हुए कृषि आधुनिकीकरण के नये आयाम स्थापित किये। प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, फसल विविधिकरण पर किसानों को निरंतर प्रोत्साहित किया, जिसके सुखद परिणाम आने लगे। प्राकृतिक खेती के विस्तार एवं संवर्धन के लिए कृत-संकल्पित सरकार ने “मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड’’ का गठन किया। राज्य के प्राकृतिक खेती कर रहे इच्छुक किसान भाइयों का पोर्टल से 72 हजार 967 का पंजीयन किया गया है। “मांग आधारित फसल विविधीकरण हेतु प्रोत्साहन योजना’’ राज्य सरकार का एक अभिनव प्रयास है। इसका उद्देश्य कृषकों को बाजार में मांग वाली ऐसी फसल लगाने हेतु प्रेरित करना है, जिससे किसान की अपनी उपज के विक्रय हेतु शासकीय उपार्जन पर निर्भरता कम हो, साथ ही पर्यावरण संतुलन भी बना रहे। वर्ष 2023 मण्डी बोर्ड का गोल्डन जुबली वर्ष है। मंत्री पटेल के मार्गदर्शन में इस वित्तीय वर्ष में मण्डी बोर्ड ने अब तक सर्वाधिक 1681 करोड़ रूपये की आय अर्जित की है। प्रदेश की 14 मण्डियों को हाईटेक बनाया जा रहा है।

देश में मध्यप्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने एक एण्ड्रायड बेस्ड एप्लीकेशन "एमपी फार्म गेट एप'' से किसानों को अपने दाम पर अपने घर, खलिहान, गोदाम से अपनी कृषि उपज को बेचने में सक्षम बनाया है। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में फार्म गेट एप का उपयोग 8 मण्डी भोपाल, हरदा, इंदौर, देवास, गुना, सागर, सतना और जबलपुर में किया गया। बाद में इसमें उज्जैन को भी जोड़ा गया। अब इसका उपयोग प्रदेश की सभी 259 कृषि उपज मण्डी समितियों में प्रायोगिक रूप से किया जा रहा है। फार्म गेट एप का उपयोग कर 12 हजार 22 किसानों ने 50 लाख क्विंटल विभिन्न कृषि उपज बेची है। इस प्रणाली को केन्द्र सरकार ने भी बहुत सराहा है। किसानों को लाभान्वित करने के लिये सरकार ने इन 3 सालों में समन्वित प्रयास किये हैं। इसी का परिणाम है ई-अनुज्ञा से कृषि उपज के परिवहन हेतु गेट पास स्वयं व्यापारी बना सकता है। प्रदेश में 58 हजार से अधिक व्यापारियों द्वारा 61 लाख 90 हजार 208 अनुज्ञा-पत्र जारी किये गये हैं।

विगत तीन वर्षों के कार्यकाल में कृषि विभाग में समस्त कार्यालयीन, पत्राचार एवं सूचना संबंधी कार्यों को हिन्दी भाषा में किये जाने के आदेश जारी किये गये। किसान भाइयों की विभाग से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिये किसानों का सच्चा साथी "कमल सुविधा केन्द्र'' की स्थापना (दूरभाष क्रमांक : 0755-2558823) की गई। सरकार द्वारा विशेष प्रयास करते हुए एपीडा का क्षेत्रीय कार्यालय मध्यप्रदेश में खुला, जिससे प्रदेश की विशिष्ट फसलों को जीआई टैग दिलाने में अपेक्षित मदद मिली।

इन वर्षों की महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत अधिसूचित फसल क्षेत्र का मापदण्ड 100 हेक्टेयर के स्थान पर 50 हेक्टेयर किया गया, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान अपनी फसलों का बीमा करा सके। वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में अर्थात पटवारी हल्के में शामिल करवा कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ सरकार द्वारा दिलाया गया। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में स्केल ऑफ फायनेंस 75 प्रतिशत को 100 प्रतिशत किया गया, जिससे बीमित किसानों को 25 प्रतिशत अधिक बीमा क्लेम मिला। सरकार ने बकाया प्रीमियम जमा किया और वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 खरीफ तक की कुल 17 हजार 140 करोड़ रूपये की फसल बीमा दावा राशि किसानों को दिलवायी गयी। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा फसल बीमा करवाने की अंतिम तिथि को दो बार वृद्धि करते हुए पहली बार शासकीय अवकाश दिवसों में भी बैंक खुलवा कर बीमा करवाया गया। भारत सरकार के बीमा पोर्टल को विशेष अनुमति लेकर खुलवाया जाकर छूटे हुए किसानों की प्रविष्टि करवा कर 450 करोड़ रूपये का अतिरिक्त फसल बीमा क्लेम किसानों को दिलाया गया।

किसानों के हित में विगत तीन वर्षों में प्राकृतिक खेती प्रोत्साहन योजना, एक जिला एक उत्पाद योजना, जीआई टैग के लिये राज्य योजना, फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना, कृषि अधो-संरचना निधि संचालन योजना, निर्यात प्रोत्साहन योजना, राज्य मिलेट मिशन, एफपीओ गठन एवं संवर्धन योजना, मुख्यमंत्री नरवाई प्रबंधन योजना और कौशल विकास प्रशिक्षण जैसी नवीन योजनाओं की शुरूआत की गई।

सरकार ने कृषि विभाग में विभिन्न संवर्ग के रिक्त पदों की पूर्ति के लिये अभियान चलाया, जिसमें लगभग 4 हजार पदों पर भर्तियों की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। प्रदेश की कृषि उपज मण्डियों में 181 मृत अधिकारी-कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का महती कार्य किया गया।

किसान पुत्र मुख्यमंत्री चौहान और कृषि मंत्री पटेल ने विगत 3 साल में किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा। सतत रूप से किसानों के हित-लाभ के लिये कार्य किया जा रहा है। कृषि एवं सहायक गतिविधियों के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पृथक से कृषि बजट का प्रावधान किया। वित्तीय वर्ष 2023-24 के कृषि बजट में 53 हजार 9 सौ 64 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के लिये 16 हजार 996 करोड़ का बजट प्रावधान किया। कृषक उन्मुखी योजना “आत्मा’’ के बजट प्रावधान में गत वर्ष की तुलना में दोगुना से भी अधिक बढ़ोत्तरी 2 हजार करोड़ 94 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजनांतर्गत 3 हजार 200 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है।

कृषि मंत्री पटेल ने मुख्यमंत्री चौहान की मंशानुरूप निरंतर किसान हितैषी कार्य किये। इससे प्रदेश को कृषि में उल्लेखनीय कार्यों के लिये कई पुरस्कार प्राप्त हुए। आज गेहूँ निर्यात के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। दलहनी फसलों के उत्पादन में प्रदेश देश में प्रथम, खाद्यान्न उत्पादन में द्वितीय एवं तिलहनी फसलों में तृतीय स्थान पर है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में गुड-गवर्नेंस इण्डेक्स में हमारे राज्य का पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल पर लैण्ड रिकार्ड का इंटीग्रेशन करने पर भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में एक्सीलेंस अवार्ड से प्रदेश को सम्मानित किया गया है। कृषि अधो-संरचना निधि के सर्वाधिक उपयोग हेतु “बेस्ट परफार्मिंग स्टेट’’ (उत्कृष्ट प्रदर्शनकर्ता राज्य) का राष्ट्रीय पुरस्कार और मिलेट मिशन योजना में “बेस्ट इमर्जिंग स्टेट’’ (उभरता हुआ सर्वोत्तम राज्य) का पुरस्कार भी मिला है।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button