रायपुर। कांकेर जिले में अंतागढ़ ब्लॉक के उसेली गांव के आश्रित गांव निलेगोंदी के ग्रामीण कई सालों से गांव में मूलभूत सुविधा बिजली, पानी और सड़क की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन आज तक उनकी मांग किसी ने नहीं सुनी। मूलभूत सुविधाओं के लिये मांग करते-करते ग्रामीण थक चुके हैं। अब ग्रामीण इस आस में है कि आखिर कब, कैसे और कौन उनकी सुध लेगा। क्योंकि कलेक्टर और क्षेत्र के विधायक सहित तमाम जनप्रतिनिधियों से ये सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग करते-करते हार चुके हैं।
अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र के निलेगोंदी गांव की स्थिति को देखकर आकंड़े झूठ दिखाई देते हैं। हम चंद्रमा पर तो पहुंच गये हैं, लेकिन धरती पर आज भी अंदरूनी गांवों में सड़क, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों जद्दोजहद करनी पड़ रही है। ग्रामीणों के लिए अभी भी ये सुविधाएं सिर्फ सपना मात्र रह गई हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत उसेली के आश्रित ग्राम निलेगोंदी जो कि जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर पहाड़ों पर बसा हुआ एक गांव है। इस गांव में करीब 150 लोग निवास करते हैं। वर्षों पहले जब से यह गांव बसा तब से यहां के ग्रामीण मुलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहें हैं। ग्रामीण शनिराम कोर्राम, रामलाल नेताम, मानूराम कोरेटी, संतु राम कोर्राम, मंगत कोर्राम, सामली बाई ने बताया कि आश्रित ग्राम में बहुत सी समस्याएं व्याप्त हैं, जिसकी मांग को लेकर कई बार ग्राम सरपंच ने शासन-प्रशासन की चौखट पर अर्जी लगाई, लेकिन आज तक किसी ने भी उनकी फरियाद नहीं सुनी।
गांव तक जाने का नहीं है रास्ता
शासन-प्रशासन ने जब गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं की तो ग्रामीणों ने खेत में एक कुंड बना दिया। उस झरिया का पानी पीकर ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे हैं। गांव तक बिजली तो पहुंची, लेकिन बरसात के तीन महीने अंधेरे में गुजारनी पड़ती हैं। गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है, जिसके कारण ग्रामीणों को जंगल व पहाड़ के रास्ते तीन किमी की दूरी पैदल ही लांघना पड़ता है। गांव तक शासकीय वाहन नहीं पहुंच पाता, जिसके कारण गंभीर मरीजों को खाट में डालकर कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। स्कूली छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए इन्हीं पैडगरी रास्ते से होकर चलना पड़ता है। गांव तक पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण आज तक शासन-प्रशासन या कोई जनप्रतिनिधी गांव तक नहीं पहुंच पाया, जिसके कारण यह गांव विकास से कोसों दूर है।
चुनाव में वोट मांगने आते हैं प्रत्याशी
ग्रामीणों ने कहा कि हर बार विधानसभा चुनाव हो या फिर पंचायत चुनाव प्रत्याशी किसी तरह से वोट मांगने के लिए गांव तक आते हैं और कई वादे कर चले जाते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म होता है वैसे ही वादे भी भुल जाते हैं। अब तक जन प्रतिनिधियों के द्वारा किया गया वादा पूरा नहीं किया गया, जिसके कारण ग्रामीण आक्रोश में हैं। उन लोगों ने कहा कि कम से कम गांव तक सड़क और पीने के लिए पानी की व्यवस्था तो की जाए, जिससे कि मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके।
6 किमी सड़क बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे ग्रामीण
कहते हैं कि किसी क्षेत्र या गांव का विकास वहां की सड़कों से होता है, क्योंकि यदि सड़क होगी तो लोगों तक मूलभूत सुविधाएं आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं। लेकिन यदि सड़क ही न हो तो न ही पानी, न ही बिजली और न ही स्वास्थ्य सुविधाएं ग्रामीणों तक पहुंच सकती हैं। यही हाल ग्राम निलेगोंदी का भी है, जिसकी ग्राम पंचायत उसेली है। उसेली से यह गांव लगभग 6 किमी की दूरी पर है। इस गांव तक पहुंचने के लिए एक कच्ची सड़क है, जहां मात्र मोटरसाइकिल चल पाती है। जिसके चलते इस गांव के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा व जल आपूर्ति का अभाव है। यहां के ग्रामीणों ने जब प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो मिलकर 3 किलोमीटर तक आने-जाने के लिए रास्ता बनाया है, जहां से मोटरसाइकिल मात्र गुजर पाती है।
तुम कुंड का पानी पीते हैं ग्रामीण
गांव की युवती रामकुमारी कोर्राम और पीलाबाई नेताम ने बताया कि जब से गांव बसा है, तब से उनके बड़े-बुजुर्गो ने खेत में एक झरिया के पास लकड़ी का तुम बनाया है। इस तुम कुंड से पूरे गांव के लोग पानी पीते हैं। हालांकि तुम का पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन मजबूरी में ग्रामीण इस तुम कुंड का पानी रोजाना इस्तेमाल करते हैं। सड़क नहीं होने चलते यहां की महिलाएं व बच्चों को आंगनबाड़ी के लिए पगडंडी के रास्ते से गुजर कर उसेली जाना पड़ता है, जो जोखिम भरा है। इसके चलते जच्चा-बच्चा व गर्भवती महिलाओं को जद्दोजहद करनी पड़ती है। विकास को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है, यह इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां एक आंगनबाड़ी तक नहीं है। मांग करने के बाद भी इस गांव में मूलभूत सुविधा का अभाव है। इस गांव की एक मात्र मांग सड़क है। यदि सड़क का निर्माण होता है तो बाकी अन्य सुविधा आसानी से इस गांव तक पहुंच सकती हैं।
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