सुरजपुर.
कोल इंडिया ने अपने कामगारों का वेतन रोक दिया है। जिसके विरोध में श्रमिक संगठन इंटक, एचएमएस, एटक, बीएमएस, सीटू ने मंगलवार को कंपनी मुख्यालय और देशभर में कोयला खदानों के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया। कोल इंडिया और उसकी सहयोगी सात कोल कंपनी में लगभग 2 लाख 33 हजार 867 लोग कार्यरत हैं। जिसमें लगभग 16438 अधिकारी और दो लाख 17 हजार 429 कर्मचारी और मजदूर हैं। जिन्हे सितंबर माह का वेतन नहीं मिला है।
जबकि प्रत्येक माह की एक तारीख को सबका वेतन उनके खाते में आ जाता था, लेकिन आज तीन तारीख बीतने को है, लेकिन अभी तक पे स्लीप नहीं बन पाया है। जिसको लेकर श्रमिक संगठन के नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोयला मजदूरों के 11वें वेतन समझौता के विरोध में कुछ अधिकारियों के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्टे ले लिया गया है। जिसकी वजह से मजदूरों का बढ़ा वेतन रोक दिया गया है। जिसके कारण कोल इंडिया, मजदूरों के बढ़े हुए वेतन में कटौती करने से डर रही है।
उसे अब ये डर सताने लगा है कि अगर कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जाती है तो मजदूर हड़ताल पर चले जाएंगे, जिससे कोल उत्पादन प्रभावित होगा। लेकिन मजदूर वर्ग उनकी नीतियों को समझ चुका है। जिसको लेकर आज वेतन रोकने के स्टे के खिलाफ तथा कोल इंडिया द्वारा मजदूरों व अधिकारियों का सितंबर माह का वेतन रोकने के आदेश देने के खिलाफ आज देश भर में पांच ट्रेड यूनियन इंटक, बीएमएस, एटक, एचएमएस, सीटू के शीर्ष नेताओं के आह्वान पर सभी श्रमिक नेताओं तथा कोयला मजदूरों ने अपने-अपने महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में एसईसीएल भटगांव और बिश्रामपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने एक दिवसीय धरना व विरोध प्रदर्शन किया गया। साथ ही कोल इंडिया प्रबंधन के विरोध में जमकर नारेबाजी की गई।
धरना और विरोध प्रदर्शन में श्रमिक संगठन एटक के मनोज पांडेय, एकलाख खान, कौशल चंद्रा, इंटक के रविंद्र सिंह, संजय सिंह, राजेंद्र सिंह देव एचएमएस के दिलीप मंडल, सतीश तिवारी बीएमस के संजय सिंह, सीटू के अजय शर्मा साहित सैकड़ों कोयला मजदूरों और कर्मचारियों ने झमाझम बारिश के दौरान महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की। धरना प्रदर्शन के बाद श्रमिक नेताओं ने मजदूर हितैषी मांग पत्र प्रबंधन को सौंपा।