रायपुर.
छत्तीसगढ़ में चुनावी सरगर्मी उफान पर है। प्रदेश में सत्ता पाने के लिए संघर्ष कर रही बीजेपी कांग्रेस की बड़ी चुनौती दे रही है। ऐसे में चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प और रोचक होते जा रहा है। कांग्रेस ने रायपुर जिले की हाई प्रोफाइल वीआईपी सीट रायपुर दक्षिण से पिछली बार चुनाव लड़ चुके कन्हैया अग्रवाल का टिकट काट कर सीएम के करीबी और प्राचीन दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास को टिकट दिया है। ऐसे में यहां पर चुनावी लड़ाई काफी रोचक हो गई है। अब इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजर रहेगी। क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल महंत को अपना गुरु मानते हैं। ऐसे में गुरु और शिष्य के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
बृजमोहन अग्रवाल और महंत राम सुंदर दास के बेहतर संबंध हैं। अग्रवाल मठ के कार्यक्रमों में लगातार शिरकत करते रहे हैं। उनका आशीर्वाद लेते रहे हैं। क्योंकि ये मठ रायपुर दक्षिण विधानसभा में पड़ता है। महंत का कहना है कि वो इससे पहले भी दो बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। जाजंगीर चांपा से विधायक रह चुका हूं और इस बार के लिए भी मैं जांजगीर चांपा से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया था। कांग्रेस हाईकमान और वरिष्ठों ने मुझे रायपुर दक्षिण से प्रत्याशी बनाया है। इस बार जनता मुझे आशीर्वाद देगी और मैं उनका नौकर बनकर सेवादारी करूंगा। दूसरी ओर मामले में वर्तमान विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि महंत यहां से लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन कांग्रेस उन्हें मजबूर करके यहां से चुनाव लड़ा रही है। क्योंकि वो जांजगीर चांपा से चुनाव लड़ना चाह रहे थे। इस संबंध में वो खुद ही बार-बार कह रहे थे कि रायपुर में मैं लड़ने की स्थिति में नहीं हूं। मेरे पास टीम नहीं है, संसाधन नहीं है, कार्यकर्ता नहीं हैं और सुविधा नहीं है। अग्रवाल ने कहा कि मुझे उनका आशीर्वाद आज से नहीं 40 साल से मिलता रहा है। इस बार भी उनका आशीर्वाद मिलेगा। 8वीं बार मुझे टिकट नहीं मिली है। 7 बार जनता जीती है और 8वीं बार भी जनता जीतेगी।
7 बार से विधायक हैं बृजमोहन अग्रवाल
बृजमोहन अग्रवाल 7 बार यानी 35 साल से इस सीट से विधायक हैं। वर्ष 2018 में इस सीट से कांग्रेस ने कन्हैया अग्रवाल को टिकट दिया था। बृजमोहन ने 52.70 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी जबकि कन्हैया अग्रवाल को महज 40.82 वोट मिले थे और उनकी हार हुई थी। बृजमोहन अग्रवाल 1990 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बने। फिर साल 1993 और 1998 में अविभाजित मध्य प्रदेश में तीन बार विधायक रहे। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद वो लगातार यहां से 4 बार वर्ष 2003, 2008, 2013, 2018 में चुनाव जीतते आ रहे हैं।
कौन हैं महंत रामसुंदर दास?
महंत रामसुंदर दास जाजंगीर चांपा से दो बार के विधायक रह चुके हैं। सियासी गलियारे में महंत रामसुंदर दास की चर्चा इसलिए है कि उन्होंने दिसंबर 2021 में जब रायपुर में धर्म संसद हुआ था, तो उस दौरान कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहे थे। इस पर महंत ने मंच से कालीचरण के बयान को लेकर उनका विरोध किया था। इसके बाद से एक बार फिर महंत चर्चा में रहे। ऐसे में कांग्रेस ने हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है।
दो बार विधायक रह चुके हैं महंत
महंत रामसुंदर दास भूपेश बघेल सरकार में गौसेवा आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। वो साल 2003 में पामगढ़ और 2008 में जैजैपुर से कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। अब एक बार फिर 2023 के चुनावी महासंग्राम में हैं।
रामायण में किए हैं पीएचडी
जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में जन्मे रामसुंदर दास अपने बाल्यकाल में ही रायपुर आ गए थे। प्राचीन दूधाधारी मठ में रहकर अपनी पढ़ाई लिखाई की। धार्मिक कार्यों में रहते हुए मठ में काम किया। उन्होंने संस्कृत में एमए किया है। साहित्य आचार्य की उपाधि लेने के बाद पीएचडी की
है। वो रामायण में पीएचडी कर चुके हैं। उनका विषय रामायण कालीन ऋषि मुनियों का तुलनात्मक अध्ययन रहा है। महंत वैष्णव दास ने उनकी सेवाभाव से प्रभावित होकर अपने बाद मठ का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। उनके निधन के बाद से महंत रामसुंदर दास मठ को चला रहे हैं।
रायपुर दक्षिण का इतिहास
महंत के लिए रायपुर दक्षिण सीट को भेदना आसान नहीं है। महंत की डगर आसान नहीं है। क्योंकि ये सीट बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है। विधायक बृजमोहन अग्रवाल 7 बार से विधायक हैं। इस बार 8वीं बार चुनावी मैदान में हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पूर्व रायपुर शहर में केवल एक सीट हुआ करती थी। उस समय से बृजमोहन अग्रवाल विधायक रहते आ रहे हैं। वर्तमान में रायपुर शहर में चार विधानसभा सीटें हैं।