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साल 2024 में दुनिया के 78 देशों में चुनाव, 4.2 अरब वोटर बनाएंगे नई सरकार

नई दिल्‍ली/इस्‍ला‍माबाद/वॉशिंगटन

आने वाले साल यानी 2024 में भारत में लोकसभा के चुनाव होने हैं। भारत के पड़ोसी बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी इस साल इलेक्शन है लेकिन ये चुनावी चक्र सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं है। पूरी दुनिया के लिए ही 2024 एक चुनावी साल साबित होने जा रहा है। दुनिया के 78 देशों में 2024 में 83 चुनाव होंगे। ये नेशनल लेवल के या विधायी चुनाव होंगे। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार 2024 के बाद अगले 24 साल तक दुनियाभर में इतने ज्यादा चुनाव नहीं होंगे। साल 2048 में फिर से ऐसा संयोग बन सकता है कि फिर से इतने सारे देशों में चुनाव एक साल के भीतर देखने को मिलें।

2024 दुनिया के इतिहास में बड़ा चुनावी वर्ष है। इस साल लगभग हर महाद्वीप में चुनाव होगा, वहीं एशियाई महाद्वीप में सबसे बड़ी संख्या में मतदाता इस साल वोट करेंगे। ब्राजील और तुर्की में इस साल आम चुनाव नहीं होंगे लेकिन स्थानीय चुनाव होंगे, जिनमें पूरा देश भाग लेगा। इसी तरह यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश ब्लॉक की अगली संसद का चुनाव करेंगे।

कई शक्तिशाली देशों में चुनाव
द इकॉनमिस्ट के मुताबिक, जिन देशों में चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से कई देश जी20 और जी7 जैसे दुनिया के कुछ शक्तिशाली समूहों का हिस्सा हैं। जिसका मतलब है कि इनके चुनाव नतीजों के भू-राजनीतिक प्रभाव भी पड़ेंगे और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य भी प्रभावित हो सकता है। इनमें अमेरिका का चुनाव भी है। वहीं कुछ देशों में चुनाव महज औपचारिकता होंगे, जहां बदलाव की उम्मीद बहुत कम है। इसमें सबसे मुख्य नाम रूस का है। रूस में फिर से व्लादिमीर पुतिन की वापसी तय मानी जा रही है।

2024 के पहले महीने जनवरी की 7 तारीख को बांग्लादेश में आम चुनावों के साथ ये बड़ा चुनावी साल शुरू होगा। जहां मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना फिर से सत्ता में आने के लिए जोर आजमाइश कर रही हैं। इसके बाद फरवरी में दुनिया के दो बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश- पाकिस्तान और इंडोनेशिया में एक सप्ताह के अंतर पर चुनाव होंगे। पाकिस्तान में पीपीपी, पीएमएलएन और पीटीआई के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। वहीं इंडोनेशिया में मौजूदा सरकार की ही वापसी की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं।

दक्षिण अफ्रीका में नई सरकार का होगा फैसला, यूरोप में भी चुनाव
मई में दक्षिण अफ्रीका में चुनाव होंगे, ये चुनाव 1994 में रंगभेद की समाप्ति के बाद सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के इस महाद्वीप में अल्जीरिया, बोत्सवाना, चाड, कोमोरोस, घाना, मॉरिटानिया, मॉरीशस मोजाम्बिक, नामीबिया, रवांडा, सेनेगल, सोमालीलैंड, दक्षिण सूडान, ट्यूनीशिया और टोगो में भी चुनाव होने हैं। 2024 में इस महाद्वीप में सबसे अधिक चुनाव होंगे।

यूरोप में भी आने वाले साल में कई देशों में सत्ता के लिए उठापटक देखने को मिलेगी। यूरोप में 2024 में 10 से ज्यादा संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। जिन देशों में चुनाव होने हैं, उनमें- फिनलैंड, बेलारूस, पुर्तगाल, यूक्रेन, स्लोवाकिया, लिथुआनिया, आइसलैंड, बेल्जियम, यूरोपीय संसद, क्रोएशिया, ऑस्ट्रिया, जॉर्जिया, मोल्दोवा और रोमानिया शामिल हैं।

अमेरिके के चुनाव पर भी दुनिया की नजर
साल 2024 में अमेरिका में भी राष्ट्रपति पद के चुनाव है। साल के आखिर में होने वाले इस चुनाव के लिए अभी से जबरदस्त रस्साकशी चल रही है। माना जा रहा है कि डेमोक्रेट राष्ट्रपति जो बाइडेन और रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच नवंबर में सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस चुनाव के नतीजों से निश्चित ही अमेरिकी विदेश नीति प्रभावित होगी, जो दुनिया के कई देशों पर भी प्रभाव डालेगी।

अगले साल यूरोपीय संघ के भी 27 देशों में चुनाव होने हैं। इनमें फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन जैसे देश भी शामिल हैं। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि 2024 में यूरोप में खंडित राजनीतिक परिदृश्य देखने को मिल सकता है। यानी बहुत कम देशों में स्थिर बहुमत वाली सरकारें बनेंगी, जो बहुदलीय गठबंधन को जन्म देगा। इसी साल यूरोपीय चुनाव भी 6 से 9 जून तक होंगे, जो कि हर पांच साल में होते हैं।

जनवरी में बांग्लादेश

जी हां, सर्दी के मौसम में साल के पहले महीने जनवरी 2024 में बांग्लादेश में चुनाव शुरू हो जाएंगे. यहां मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की ओर से सरकार विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं. BNP के कई बड़े नेता जेल में या देश से बाहर हैं. इस विपक्षी पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर पीएम शेख हसीना इस्तीफा देकर केयरटेकर गवर्नमेंट को सत्ता नहीं सौंपती हैं तो वह चुनाव का बहिष्कार करेगी. हसीना का मूड अलग लग रहा है. उधर, अमेरिका और चीन की टेंशन का केंद्र बिंदु रहे ताइवान को भी 13 जनवरी को नया प्रेसिडेंट मिलेगा.

फरवरी में पाकिस्तान और इंडोनेशिया

साल के दूसरे महीने में दिन कम होंगे लेकिन चुनावी गहमागहमी ज्यादा रहेगी. दुनिया के दो मुस्लिम देशों- पाकिस्तान और इंडोनेशिया में वोटिंग होगी. भ्रष्टाचार के आरोपों में इमरान खान को पीएम पद से हटाए जाने के बाद पहली बार पाकिस्तान में चुनाव होने जा रहे हैं. खान जेल में हैं लेकिन चुनाव में उनकी चर्चा काफी हो रही है. उधर, इंडोनेशिया में दुनिया में एक दिन का सबसे बड़ा चुनाव होगा जिसमें देश के 200 मिलियन वोटर हिस्सा लेंगे.

मार्च में पुतिन की विदाई की संभावना कम

हां, 17 मार्च को रूस में चुनाव है. वह 71 साल के जरूर हो जाएंगे लेकिन व्लादिमीर पुतिन आगे भी राष्ट्रपति बने रह सकते हैं. तमाम विरोधों के बावजूद पुतिन ने जीवनभर पद पर रहने की तैयारी कर रखी है.

भारत में अप्रैल-मई में आम चुनाव

दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में अप्रैल और मई के महीने में वोटिंग हो सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी पारी को लेकर आश्वस्त हैं. उधर कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिशों में लगी हुई है. 28 विपक्षी दलों ने मिलकर I.N.D.I.A गठबंधन बनाया है लेकिन हाल के विधानसभा चुनावों में जिस तरह से जनता ने पीएम के चेहरे को देखकर 'मोदी की गारंटी' पर भरोसा किया उससे विपक्ष की राह चुनौतीपूर्ण लग रही है. अगले महीने अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा और पीएम मोदी खुद रामलला के मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के समय मौजूद रहेंगे.

अफ्रीका, यूरोप और…

दक्षिण अफ्रीका में होने वाले चुनाव पर दुनिया की नजरें हैं. नेल्सन मंडेला के बाद देश की राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव देखे गए हैं. म्यूनिसिपल इलेक्शन में दो साल पहले मंडेला की अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने पहली बार 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किए थे. उधर यूरोप में भी चुनाव होने हैं, वहां नई सरकारों के लिए बहुमत के नंबर तक पहुंचना चुनौती बन सकता है. मार्च के महीने में पुर्तगाल में चुनाव हैं. वहां भ्रष्टाचार का मुद्दा छाया रहा. इसी तरह ऑस्ट्रिया में भी चुनाव की गहमागहमी है. जून के महीने में ब्रिटेन के बाहर निकलने के बाद पहली बार यूरोपीय संसद का चुनाव होगा. 2025 की शुरुआत में यूके में चुनाव होने हैं. लेबर पार्टी को उम्मीद है कि वह आसानी से जीत दर्ज कर लेगी. लैटिन अमेरिका में देखिए तो मैक्सिको को पहली महिला राष्ट्रपति मिल सकती है. वेनेजुएला में सत्ता निकोलस मादुरो के हाथ बनी रह सकती है.

अमेरिका में 5 नवंबर

इस बार ट्रंप वापस चुनाव में दिख सकते हैं. वह जीतें या हारें लेकिन चुनाव प्रचार में उनकी मौजूदगी माहौल को जरूर गर्म रखेगी. ट्रंप जीते तो वैश्विक समीकरण फिर से उलट सकता है. उम्मीद की जानी चाहिए जनता कहीं की भी हो, काफी सोच विचारकर वोट करेगी.

 
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