औषधीय पौधों पर शोध के लिये देवारण्य योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों में रोजगार देने के प्रयास
डिंडौरी
आयुष विभाग द्वारा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये देवारण्य योजना का संचालन किया जा रहा है। योजना में जिले में गठित वन समितियों के अंतर्गत काम करने वाले छोटे-छोटे संगठनों के माध्यम से वनोपज संग्रह का कार्य किया जा रहा है। संग्रहित वनोपज एवं औषधीय पौधों के विक्रय के लिये विभाग द्वारा एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
जिले में जनजातीय क्षेत्रों के औषधीय पौधों के ज्ञान का डाक्यूमेंटेशन किये जाने का कार्य भी किया जा रहा है।
पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं संस्थान भोपाल ने इस कार्य के लिये डिंडौरी जिले में प्रोजेक्ट चलाया हुआ है। प्रोजेक्ट से जनजातीय क्षेत्र के वैद्यों के ज्ञान को संग्रहीत कर दस्तावेजीकरण की कार्यवाही की जा रही है। आयुष विभाग द्वारा इस कार्य के लिये बजट भी उपलब्ध कराया गया है।
जिले में आयुर्वेद के सर्वांगीण विकास और शोध के क्षेत्र में अधो-संरचना विकास के लिये आयुर्वेद टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें देश के जाने-माने शिक्षाविद एवं शोध विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। अमरकंटक परिक्षेत्र के जनजातीय कृषकों को औषधीय पौधों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये जिला प्रशासन और जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के बीच एमओयू भी साइन किया गया है।