JP हॉस्पिटल : मेटरनिटी विंग मेें 150 प्रसूताओं पर 15 नर्स की ड्यूटी
भोपाल
जेपी अस्पताल में व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। आलम यह है कि अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं पर मंत्रियों एवं अफसरों की सिफारिशें भारी पड़ रही हैं। जिन नर्सों के पास सिफारिश के लिए कोई नहीं है, उन्हें ज्यादा काम के साथ नाइट ड्यूटी भी करना पड़ रही है। ऐसे में उन्होंने प्रबंधन के खिलाफ बगावत शुरू कर दी है। दरअसल, जेपी अस्पताल की मेटरनिटी विंग में करीब 150 महिलाएं तो भर्ती रहती हैं। 50-50 बेड के तीन वार्डों में भर्ती रहने वाली महिलाओं की देखभाल के लिए 15 नर्सिंग स्टॉफ है। तीन शिफ्ट होती हैं, ऐसे में एक शिफ्ट में 5 नर्सिंग स्टाफ आता है। एक-दो अवकाश पर होती हैं, ऐसे में कभी 3 तो कभी 4 नर्सिंग स्टाफ एक शिफ्ट में आता है। तब एक वार्ड में एक नर्सिंग स्टाफ मिल पाता है। जबकि, एक वार्ड में कम से कम तीन नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए। यहां पर कुल 30 नर्सिंग स्टॉफ की जरूरत है।
मनमानी के खिलाफ बगावत शुरू
आलम यह है कि गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी से पहले की जाने वाली जांच के लिए बनी एएनसी क्लीनिक (एंटीनेटल केयर)में जरूरत से दोगुनी 8 नर्सिंग स्टाफ को तैनात कर दिया है। जबकि मेटरनिटी विंग में जरूरत के मुकाबले आधा ही नर्सिंग स्टाफ दिया गया है। यही वजह है कि नर्सिंग स्टाफ ने इस मनमानी के खिलाफ बगावत के सुर छेड़ना शुरू कर दिया है।
शाम की ओपीडी में कम आते हैं कर्मचारी
अगर बात एएनसी क्लीनिक की करें तो यहां सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक और शाम को 5 से 6 बजे तक ओपीडी होती है। ओपीडी में एक दिन में 70 से 80 मरीज आते हैं। इनका पोर्टल पर पंजीयन करके बीपी, वजन आदि की जांच की जाती है। ऐसे में यहां 4 कर्मचारी पर्याप्त हैं, लेकिन यहां 8 कर्मचारी दिए गए हैं। ऐसे में कर्मचारियों के हिस्से में काम कम ही आता है। शाम की ओपीडी में कुछ ही कर्मचारी आते हैं। एएनसी क्लीनिक में काम कम और कर्मचारी ज्यादा हैं, यही वजह है कि कर्मचारी यहां ड्यूटी पाने के लिए मंत्री और अधिकारियों की सिफारिशें कराते हैं।
नर्सिंग स्टाफ ने ड्यूटी में भेदभाव किए जाने के संबंध में बताया है। हम जेपी अस्पताल प्रबंधन से इस संबंध में बात करेंगे। अगर व्यवस्था नहीं सुधारी गई तो रणनीति बनाकर आंदोलन किया जाएगा।
–सुरेंद्र कौरव, प्रदेश अध्यक्ष, स्वास्थ्य अधिकारी -कर्मचारी महासंघ