गरियाबंद.
राज्य सरकार द्वारा लाख उत्पादन को भी खेती का दर्जा दिये जाने तथा विभिन्न प्रोत्साहन योजना के कारण प्रदेश के किसानों में लाख की खेती के प्रति रूझाान बढ़ा है। राज्य शासन द्वारा तकनीकी सलाह और प्रशिक्षण मिलने से अब किसान वैज्ञानिक पद्धति से भी लाख पालन करने लगे है। गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है। प्रदेश में लगभग 50 हजार से अधिक कृषकों द्वारा कुसुम व बेर के वृक्षों पर कुसुमी लाख तथा पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि के लिए विशेष पहल की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में गरियाबंद जिले के किसान लाख उत्पादन कर अधिक मुनाफा अर्जित करने की ओर अग्रसर है। गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए चार क्लस्टरों का चयन किया गया है। चयनित क्लस्टरों में किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत 761 किसान प्रशिक्षण पाकर 8243 कुसुम वृ़क्ष और 4849 बेर वृक्षों में लाख की खेती कर रहे हैं। तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन मिलने की वजह से जिले के किसान 13 हजार से अधिक वृक्षों में वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती कर रहे है।
गरियाबंद वनमण्डल के वनसंरक्षक ने बताया कि लाख की खेती को अधिक प्रोत्साहन कर लाख कृषक से बीहन लाख क्रय कर अन्य जिले के कृषकों को भी प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई 2023 अंतर्गत देवभोग कलस्टर अंतर्गत अब तक 5 कृषकों से 14.53 क्विंटल लाख क्रय किया गया है। इसकी कीमत 5 लाख 75 हजार 527 रूपए है। जिले में लाख की खेती के लिए लाख पालक कृषकों को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के प्राथमिक साख सहकारी समिति से समन्वय स्थापित कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 66 कृषकों को 23 लाख 25 हजार लोन की राशि वितरित की गई है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 कृषकों को 8 लाख 50 हजार रूपए का लोन दिया गया है।
बता दे कि राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने के लिए किसानों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) लाख के लिए दर का निर्धारण किया गया है।