भोपालमध्यप्रदेश

बैरसिया में मिलीभगत से किसानों के खेत में उग गया रास्ता

बगैर किसानों की सहमति से नक्शे में कर दिया बंदोबस्त, किसानों की जमीन कब्जाने प्रशासन कर रहा सहयोग
भोपाल
बैरसिया राजस्व अधिकारियों ने बगैर किसानों की सहमति से किसानों की जमीन से रास्ता निकालने का आदेश कर दिया। जब खेत में पैदल और बाइक से आने जाने वाले भाई के परिवार ने जबर्दस्ती ट्रैक्टर ट्राली हके हुए खेत में निकालने की कोशिश की तो प्रकरण थाने पहुंच गया जहां पर दूसरे पक्ष ने रास्ता होने के दस्तावेज थाने में पेश किए गए तब किसानों को मालूम हुआ की रास्ता बाले-बाले निकाला गया है।  जिसकी जानकारी किसानों को लगी तो सभी किसानों ने विरोध करते हुए प्रदर्शन भी किया।

साथ ही उक्त संबंध में एसडीएम, तहसीलदार कलेक्टर, कमिश्नर सहित राजस्व मंत्री को भी आवेदन देकर अवगत गराया और न्यायालय, एसडीएम न्यायालय, तहसीलदार और नायबतहसीलदार के साथ ही न्यायालय में भी वाद दायर किया गया परंतु कोई कार्रवाई न करते हुए बगैर सूचना दिए बलपुर्वक रास्ता खोलने के लिए प्रशासनिक अमला सहित पुलिस थाना गुनगा पुलिस भी मौके पर पहुंची, जिस पर रहवासियों ने सूचना नहीं होने की जानकारी दी, तो मौखिक सूचना का हवाला देकर रास्ता देने की बात कही, मगर रहवासियों ने चाहे जो हो जाए रास्ता नहीं देने की बात की गई।

पारिवारिक विवाद को बनाया मुद्दा
उल्लेखनीय है कि दो भाईयों के बीच हुए सहमति पूर्वक बंटवारे के बाद किसी को कोई परेशानी नहीं थी। सभी लोग एक-दूसरे की सहमति से आ-जा रहे थे। लेकिन जाने-अनजाने कुछ राजनैतिक तत्वों के दबाव में आकर राजस्व अधिकारियों ने कब रास्ता बना दिया किसी को भी भनक नहीं लगी। राजस्व अधिकारियों ने बगैर सहमति से बगैर पंचनामे के रास्ता खोल दिया गया।

परिवर्तन के 9 माह बाद आया सामने आया बदलाव
बुजुर्ग  किसान ताराचंद गंगवार ने बताया कि उक्त बदलाव की समयावधि निकल जाने के बाद अचानक बलपुर्वक खेत में से ट्रैक्टर निकलाने की कोशिश की गई, जब मना किया गया तब जानकारी मिली की 9 माह पहले खेत में से शासकीय रास्ता बन गया है, जबकि पूरी जमीन किसान की निजी मिलकियत है। अब रोड पर हमारी जमीन आ जाने के बाद न जाने किस लालच से जबर्दस्ती आने जाने के लिए 10 फीट का रास्ता बनवाया गया है। जो समझ से परे है। उन्होंने बताया कि जिस आवेदिका राजकुमारी पत्नी घासीराम का आने जाने का रास्ता हमारे घर में से रहता था, लेकिन दस्तावेजों में पंजीबद्ध हो जाने के बाद, हम अब आम रास्ता नहीं बनने देंगे।

आवेदिका राजकुमारी पत्नी घासीराम को मिले आने-जाने का रास्ता
नायब तहसीलदार सुनील शर्मा शासकीय दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे, इस बीच तारांचद गंगवार ने भोपाल से पत्रकारों को बुलवा लिया था, इस बीच जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि सभी तरह की सूचना दी गई है। नहीें दी है तो मैं मौखिक सूचना दे रहा हूं। रास्ता खोलने की कार्यवाही करना है। आपके ही परिवार को रास्ता देना है।

नहीं सूनी जा रही अपीलः ताराचंद गंगवार
ताराचंद गंगवार ने बताया कि हमें किसी प्रकार की कोई सूचना, नोटिस या रास्ते के पंचनामें की भी कोई सूचना नहीं दी गई। जो रास्ते की मांग की जा रही है वह पहले नक्शा निरस्त किया जाए। हमें तारीख पर तारीख देकर परेशान किया जा रहा है। हमारी कहीं कोेई सुनवाई नहीं हो रही है। हम कहां पर जाएं, कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। रही हमारी बहु राजकुमारी पत्नी घासीराम का पूरा परिवार यहां से निकलता था, हमने कभी रोक-टोक नहीं की, लेकिन जबर्दस्ती हमारी निजी भूमि पर षड़्यंत्र पूर्वक रास्ता बनवाने की पहल की जा रही है और माध्यम हमारी बहु और हमारे परिवार का विवाद बनाकर हमारी जमीन दूसरे को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। यदि रास्ता मांगना था तो स्वयं उसके घर तक के लिए रास्ता मांगना चाहिए था, दूसरे रास्ते तक तीन अन्य किसानों की जमीन हथियाने का षड्यंत्र क्यों किया जा रहा है। जब वे लोग राजी नहीं हैं तो हम भी उनके साथ हैं और रास्ता नहीं दे रहे हैं। हमारी निजी भूमि है। शासकीय रास्ता बनाने के लिए नहीं।

यह है संक्षिप्त विवरण
 आवेदिका राजकुमारी पत्नी घासीराम निवासी ग्राम सेमरी कला तहसील बैरसिया जिला भोपाल द्वारा आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 131 मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के तहत प्रस्तुत कर लेख किया है कि मेरे चाचा ससुर ताराचंद पुत्र स्व. गंगाराम निवासी ग्राम सेमरी कलां | के खसरा क्रमांक 380, 378 खेत की मेड़ से पचास वर्ष पूर्व से मेरी जमीन खसरा कमांक 376, 377 / 3 एंव मकान तक आने जाने के लिए यही एक मात्र रास्ता प्रचलन में है और यही रास्ता भाई बटवारे में मेरे ससुर को मौखिक बताया गया था और अब इसी रास्ते को मेरे चाचा ससुर के द्वारा बाधित किया जा रहा है, मेरे चाचा ससुर को रास्ते की जगह के बदले में उतनी जमीन देने का निवेदन किया था ,उन्होनें नवशे में दर्ज ना होने का हवाला दे कर साफ मना कर दिया जिससे मेरे कृषि संसाधन एंव रोजमर्रा का आवागमन बाधित हो गया है। आवेदिका द्वारा रास्ता दिलाये जाने का निवेदन किया है। प्रकरण दर्ज किया।

एकपक्षीय की गई कार्रवाई
प्रकरण में अनावेदक ताराचंद पिता गंगाराम को नोटिस जारी किया गया। अनावेदक ताराचंद उपस्थित उसके द्वारा मौखिक जबाव प्रस्तुत किया कि स्थल पर रास्ता चालू है: बंद नहीं करूंगा, लेकिन जमीन से रास्ता नहीं डालने दूंगा, इसके पश्चात अनावेदक ताराचंद पेशियों पर निरन्तर अनुपस्थित रहा है, एक पक्षीय किया गया। प्रकरण में आवेदिका राजकुमारी पत्नी घासीराम स्वयं एंव हरभजन सिंह पिता स्व० लक्ष्मण सिंह, मदनलाल गंगवार पिता सुखराम गंगवार के लिखित साक्ष्य प्रस्तुत किये, साक्ष्यों द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत किये कि मेरा परिवार लगभग 30 वर्ष से इस रास्ते का उपयोग करता चला आ रहा है तथा भूमि एंव मकान पर जाने यही मात्र रास्ता है   पटवारी हल्का ने प्रतिवेदन दिया है कि वर्तमान में सिर्फ पतला रास्ता है पर्याप्त – रास्ता न होने के कारण बाधित होता है पगडंडी रास्ता पैदल चलने के लिये है जो कृषि संसाधन ट्रेक्टर ले जाने में बाधा उत्पन्न होती है, अनावेदक ताराचंद द्वारा कभी कभी मना भी किया जाता है उक्त रास्ते से पूर्व से लगभग 50 वर्षों से ट्रेक्टर बेलगाड़ी के लिये उपयोग होता है। प्रकरण में मेरे भी स्थल पर निरीक्षण किया गया, स्थल में पाया कि आवेदिका को निकलने हेतु कोई शासकीय रास्ता नहीं है, आवेदिका के अतिरिक्त भी उक्त रास्ते से अन्य कृषक भी आते जाते हैं, जिनकी जमीन आवेदिका की जमीन से आगे होकर उत्तर की ओर अन्य रास्ते तक कृषि यंत्र लाने ले जाने हेतु उपयोग करते हैं, एंव किसी अन्य खातेदार को रास्ता खोलने में कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु वह दक्षिण से उत्तर की ओर सम्पूर्ण रास्ते ना हो आदेश चाहते हैं जिससे भविष्य में विवाद उत्पन्न न हो।

शासकीय रास्ते पर हुआ है अतिक्रमण उसे खोला जाए
पीड़ित किसान ने नक्शा दिखाते हुए कहा कि पुराने रास्ते पर अतिक्रमण कर रोका गया है, जो पूर्व में हमारे आने-जाने का भी रास्ता था। हमने 30 वर्ष पहले यहां पर मकान बना लिया है। अब हमारे मकान में से रास्ता मांगा जा रहा है जो कि गैरकानूनी है। मेरी उम्र 80 वर्ष है। पहली पेशी में जब मैं पहुंचा तो श्रीमानजी ने मुझे पेशी पर आने की छूट देते हुए कहा कि अब आपको पेशी पर आने की जरूरत नहीं है, लेकिन एकपक्षीय कार्रवाई करने से पूर्व मुझे कोई नोटिस नहीं मिला और न ही सूचना दी गई है। प्रशासन द्वारा गलत तरीके से रास्ता दिया जा रहा है। जबकि नक्शे में सेमरीकलां गांव से आने-जाने का रास्ता दर्शित है। फिर यह नया रास्ता क्यों दिया जा रहा है, समझ से परे है। वाद न्यायालय में है, जिसके कारण अब हम यहां से रास्ता नहीं देंगे।
 ताराचंद गंगवार, पीड़ित किसान, सेमरीकलां, भोपाल

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