मंदिर समिति की ड्रेस कोड, स्वास्थ्य कर्मियों की अलग यूनिफॉर्म, बेहतर सुविधा देने के ये प्रयास
नई दिल्ली
चारधाम यात्रा में बेहतर सुविधाएं देने और व्यवस्थाओं को दुरस्त करने के लिए सरकार लगातार नए प्रयोग में जुटी हुई है। इस बार यात्रा सीजन में मंदिर समिति के कर्मचारियों को जहां ड्रेस कोड लागू करने पर विचार किया जा रहा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए भी अलग यूनिफार्म तैयार की जा रही है। जिससे इनकी पहचान अलग हो सके। इसके लिए शासन और विभाग सभी युद्ध स्तर पर तैयारियां कर रहे हैं।
आगामी 22 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। अब तक दो लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के लिए हो चुके हैं। वर्तमान में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इन्हीं धामों के लिए की जा रही है। गंगोत्री व यमुनोत्री का शुभ मुर्हूत तय होते ही रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे। इधर प्रशासन, मंदिर समिति और सरकार सभी अपने अपने स्तर से तैयारियां कर रहे हैं। यात्रियों को धामों और रास्तों में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए हर स्तर पर काम किया जा रहा है। बद्री केदार मंदिर समिति पहले ही अपने कर्मचारियों की ड्रेस कोड लागू करने की बात कर चुकी है। जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की समस्या न हो और मंदिर समिति के कर्मचारी अलग से पहचान में आ सकें। इसी तर्ज पर अब स्वास्थ्य विभाग भी यात्रा मार्गों में तैनात अपने स्टाफ को अलग से यूनिफॉर्म देने पर विचार कर रहा है।
कर्मचारियों की यूनिफॉर्म अलग, यात्री आसानी से पहचान सकेंगे स्वास्थ्य विभाग ने केदारनाथ और यमुनोत्री के पैदल मार्गों पर हर किमी में स्वास्थ्य शिविर लगाने की बात की है। इसके साथ ही ट्रिपल लेयर में हेल्थ सिस्टम दुरस्त करने की बात की है। जहां पर डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टाफ तैनात रहेगा। इन कर्मचारियों की यूनिफॉर्म अलग होने से यात्री आसानी से इन्हें पहचान सकेंगे। इस तरह स्वास्थ्य विभाग अलग से अपने कर्मचारियों को ट्रेंड भी कर रहा है।
इसी तरह पुलिस विभाग भी धामों पर तैनात रहने वाले पुलिसकर्मियों को दूसरे राज्यों की भाषाओं की ट्रेनिंग दे रहा है। जिससे दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओ की समस्याओं को समझा जा सके। उनकी समस्याओं को सुनकर आसानी से कम्यूनिकेशन बनाया जा सके। श्रद्धालु पुलिसकर्मियों से ही सबसे पहले अपनी समस्या बताते हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले यात्री अपनी लोकल भाषा में बात करते हैं, इससे कई बार बातों को समझने में दिक्कत होती है। जिससे हेल्प करने में परेशानी हो सकती है। इसके लिए पुलिसकर्मियों को पंजाबी,तमिल, मराठी आदि दूसरी भाषाओं की आवश्यक शब्दों को सीखाया जा रहा है,जिससे वे श्रद्धालुओं से कम से कम जरुरी बातें कर सके।