राजनीति

दिग्विजय बोले – EVM का सॉफ्टवेयर तय करता है सरकार किसकी बनेगी

भोपाल
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। बुधवार को उन्होंने कहा, 'मेरा आरोप है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है दबाव में है। चुनाव आयोग से हम निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं। ईवीएम का सारा काम प्राइवेट लोगों के हाथ में है। जब सॉफ्टवेयर ही सब करता है तो वही सॉफ्टवेयर तय करेगा सरकार किसकी बनेगी।' दिग्विजय ने ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो भी दिखाया।

दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एक बार फिर से ईवीएम (EVM) के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. सिंह ने बाकायदा बुधवार को इस संबंध में एक प्रेस कांफ्रेंस कर ईवीएम की खामियां गिनाई. इस मौके पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि ईवीएम को लेकर खुद लालकृष्ण आडवाणी (Lalkrishna Adavani) अविश्वास जता चुके हैं. उन्होंने कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल 2003 में शुरू हुआ. लेकिन अविश्वास सामने आने के बाद इसके साथ वीवीपैट (VVPAT) को जोड़ा गया.

VVPAT पर भी उठाए सवाल

दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब वोटिंग मशीन पर सवाल उठे, तो उसके बाद VVPAT मशीन को जोड़ा गया.  उन्होंने बताया कि VVPAT की मशीन में बैलेट होता है. इसमें कोई चिप नहीं होती है.  VVPAT में जो सॉफ्टवेयर डाला जाता है, उसमें उम्मीदवार का नाम और सिंबल होता है. सिंह ने बताया कि बैलेट यूनिट का इस्तेमाल करने के लिए इसे कंट्रोल यूनिट से कनेक्ट किया जाता है. इस प्रकार वोट बैलेट के बाद कंट्रोल यूनिट में जाता है. उन्होंने  VVPAT के सॉफ्टवेयर से भी छेड़छाड़ का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील में ईवीएम का इस्तेमाल होता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में ओपन सॉफ्टवेयर होता है.

चुनाव आयोग के जवाब को भी नकारा

ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि आयोग कहता है कि इसे हैक नहीं कर सकते, क्योंकि इसमें कोई कनेक्टिविटी नहीं है, जबकि रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि इंटरनेट कनेक्शन दिया जाता है. सिंह ने ईवीएम पर अविश्वास जताते हुए कहा कि टेक्निशियंस भी इलेक्शन कमीशन के नहीं हैं. मशीन कौन बना रहा है, ये भी किसी को नहीं पता है. इसके अलावा सॉफ्टवेयर भी विदेशी है. उन्होंने आरोप लगाया कि सॉफ्टवेयर ही मतदान प्रभावित कर सकता है. लिहाजा, मूल बात ये है मतदाता को विश्वास होना चाहिए कि उसका वोट सही जगह गया है.

 बताया VVPAT से हो सकता है खिलवाड़

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि वीवीपैट तार के जरिए बैलेट यूनिट से कनेट होती है. वहीं, वीवीपीएटी सेंट्रल इलेक्शन कमिशन के सर्वर से कनेक्ट होती है. कलेक्टर पहले ये तय करते थे कि कौन सी यूनिट कहां जाएगी, लेकिन अब रेंडमाइजेशन के नाम पर ये काम सेंट्रल सर्वर से किया जा रहा है, जिसके लिए प्राइवेट इंजीनियर बुलाए जाते हैं. इंजीनियर लैपटॉप से मशीन को कनेक्ट करते हैं, जिसके बाद सिंबल लोड किए जाते हैं. इस प्रक्रिया में चिप सर्वे सर्वा हो जाता है. उन्होंने कहा कि वीवीपीएटी मशीन में 7 सेकंड के लिए दिखाई देता है, लेकिन जो दिखता है.

वही, डब्बे में गिरा है, इस बात का संदेह है. दिग्विजय ने आरोप लगाया कि माइक्रोचिप जो वीवीपीएटी में है, वही वोट डाल रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे इलेक्शन के मालिक न चुनाव आयोग है और न जनता, उसका मालिक सॉफ्टवेयर और उसके निर्माता हैं. इस मौके पर उन्होंने जुगाड़ से बनाई गई VVPAT मशीन से वोटिंग का डेमो दिखाकर यह बताया कि कैसे वीवीपैट से वोटों की चोरी होती है. लिहाजा, उन्होंने बैलेट से चुनाव कराने की मांग की.

चुनाव आयोग पर भी उठाए गंभीर सवाल

इस मौके पर दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि इलेक्शन कमिशन निष्पक्ष नहीं है. उन्होंने कहा कि आयोग भारी दबाव में कर रहा है. हम लोग चुनाव में कुछ बोल देते हैं, तो नोटिस मिल जाता है.  लेकिन भाजपा के नेताओं को खुली छूट मिली हुई है. पीएम मोदी ने कर्नाटक चुनाव में खुलेआम बजरंगबली की जय बोलकर कमल को वोट देने की अपील की थी, तब चुनाव आयोग उन्हें कुछ नहीं कहा था.

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