छत्तीसगढराज्य

सोसनपाल में फैला डायरिया नियंत्रण में, बैक्टिरिया से फैला था डायरिया

जगदलपुर

तोकापाल ब्लाक के ग्राम सोसनपाल में फैला डायरिया अब थमता नजर आ रहा है, अब यहां एक भी नया मरीज नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव के तीनों बोर के पानी का सैंपल जांच के लिए भिजवाया था, जिसकी रिपोर्ट चौकाने वाली आई है। रिपोर्ट में तीनों बोर के पानी में कोलीफार्म बैक्टिरिया पाया गया है। गांव वालों को इस बैक्टिरिया से बचाने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग घर-घर जाकर क्लोरीन की दवाएं बांट रहे हैं और पानी के प्रयोग को लेकर जानकारी दे रहे हैं। राहत की बात है कि पंचायत भवन में बनाये गये अस्थाई मेडिकल कैंप में भी अब सिर्फ एक ही मरीज शेष है। यहां भी जिन मरीजों का इलाज किया जा रहा था वे सभी स्वस्थ हो गये हैं। पूरे गांव में लगातार दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है और पानी म क्लोरिन मिलाया जा रहा है।

कोलीफार्म बैक्टिरिया एक प्रकार का जीवाणु है, जो कि पानी के माइक्रो बायोलॉजिकल अध्ययन के लिये एक सूचक अवयव के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। कोलीफॉर्म विशिष्ट बैक्टीरिया (जीवाणु) का एक समूह होता है, जो मिट्टी, खराब सब्जी, पशुओं के मल अथवा गन्दे सतह जल में पाया जाता है। सामान्यत: कोलीफॉर्म उपचारित सतह जल तथा गहरे भूजल में नहीं पाया जाता। लेकिन पहली बार भू-गर्भ जल में इसके अवयव मिले हैं। यदि पीने के पानी में कोलीफॉर्म अधिक मात्रा में है तो उसे बायोलॉजिकली प्रदूषित जल ही माना जाता है। गांव के पानी में बैक्टिरिया मिलने के बाद इसे शुद्ध करने के लिए पीएचई विभाग को पत्र लिखा है। अब पीएचई विभाग की टीम गांव पहुंचेगी और प्रदूषित जल को शुद्ध करने के काम करेगी।
बीएमओ एमआर कश्यप ने बताया कि सोसनपाल में मिले उल्टी दस्त के मरीजों की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। मेकाज में जो एक दर्जन से अधिक मरीज भर्ती थे, वे सभी ठीक हो गए हैं। मेडिकल कॉलेज और गांव के शिविर में एक-एक मरीज भर्ती हंै।

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