शीर्ष अदालत ने कहा- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के मामलों में कोर्ट उदार दृष्टिकोण अपनाएं
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 एक सामाजिक लाभ आधारित कानून है और अदालतों को इस कानून के प्रविधानों की व्याख्या करते हुए एक रचनात्मक तथा उदार दृष्टिकोण अपनाना होगा।
समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए है अधिनियम का महत्व
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिनियम का महत्व समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए है। उपभोक्ता को बाजार अर्थव्यवस्था में सीधे भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए है। जस्टिस अजय रस्तोगी और सी टी रविकुमार की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के दिसंबर 2004 के फैसले के खिलाफ एक बीमा कंपनी द्वारा दायर अपीलों पर अपना फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणियां कीं।
जोखिम के लिए बीमा कराता है व्यक्ति- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति व्यवसायिक उद्देश्य के लिए नहीं जोखिम के लिए बीमा कराता है। मामले के तथ्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक वाहन डीलर और एक फर्म ने एक बीमा कंपनी से अग्नि बीमा पालिसी ली थी और 28 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा दंगों के दौरान आग लगने से दोनों के सामान को नुकसान हुआ था।