बनने से पहले ही विपक्षी एकता में पड़ने लगी दरार, सीट शेयरिंग पर कांग्रेस और उद्धव की शिवसेना में तकरार
मुंबई
देश में अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विपक्षी एकता की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में महाराष्ट्र का दौरा किया था, जहां उनकी मुलाकात एनसीपी के मुखिया शरद पवार और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से हुई थी। हालांकि, महाराष्ट्र से जो अब खबरें आ रही हैं, वह विपक्षी एकता को झटका देने जैसी है। जी हां, महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में शामिल घटक दलों (एनसीपी, शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस) के बीच आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा होते ही मतभेद सामने आ रहे हैं। इस सियासी घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के बीच शिवसेना के 13 सांसदों की सीट पर टकराव देखने को मिल रहा है। ये सभी सांसद एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हुए थे।
कांग्रेस मुंबई की दक्षिण मध्य सीट अपने पास रखना चाहती है। 2019 के चुनाव में शिवसेना को यहां सफलता मिली थी। राहुल शेवाले इस सीट से सांसद हैं, जो कि अब शिंदे गुट में शामिल हैं। दलित मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कांग्रेस यह सीट अपने पास रखना चाहती है। 2009 के चुनाव में कांग्रेस के दलित नेता एकनाथ गायकवाड़ ने शिवसेना के दिग्गज नेता मनोहर जोशी को पटखनी दी थी। कांग्रेस का मानना है कि शेवाले के शिंदे गुट में शामिल होने के साथ वह उद्धव गुट से यह सीट छीनने के लिए मजबूत स्थिति में है। इसके अलावा मुंबई की दक्षिण मध्य सीट पर भी कांग्रेस दावा ठोक रही है।
रामटेक सीट को लेकर भी आपस में कलह है। सांसद कृपाल तुमाने के शिंदे कैंप में शामिल होने के बाद यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष कुणाल राउत ने इस सीट पर दावा ठोक दिया है। आपको बता दें कि सिर्फ उन्हीं सीटों पर विवाद नहीं है, जहां के सांसदों ने शिंदे कैंप का दामन थाम लिया है। इसके अलावा भी कई ऐसी सीटें हैं, जहां विवाद है।
कांग्रेस की नजर उद्धव गुट के अरविंद सावंत की मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट पर भी है। कांग्रेस इन सीटों पर दावा करने के लिए जो तर्क दे रही है, वह यह है कि शिवसेना ने 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन के कारण यह सीट जीता था। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "मुंबई दक्षिण की सीटें कांग्रेस का गढ़ है। शिवसेना को 2019 में सिर्फ इसलिए यहां जीत हासिल हुई क्योंकि यहां पर वह भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी। अब जब पार्टी टूट गई है, तो पुरान अंकगणित नहीं रह गया है।''