बिलासपुर.
एसईसीएल प्रवास पर आए कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल (भा.प्र.से.) द्वारा कुसमुंडा क्षेत्र में वर्कशॉप कॉम्प्लेक्स, गेवरा क्षेत्र में एफएमसी (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) के तहत बनाए गए रेल रैपिड लोड आउट सिस्टम (आरआरएलओएस) एवं वीसी के माध्यम से रायगढ़ क्षेत्र में बरौद साइडिंग का उदघाटन किया गया। इस अवसर पर एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा, निदेशक तकनीकी (संचालन) एस.के. पाल, निदेशक (वित्त) जी. श्रीनिवासन, निदेशक तकनीकी (यो./परियो.) एस.एन. कापरी, निदेशक (कार्मिक) देबाशीष आचार्या, महाप्रबंधक कुसमुंडा क्षेत्र संजय मिश्रा, महाप्रबंधक गेवरा क्षेत्र एस के मोहंती, एवं महाप्रबंधक रायगढ़ क्षेत्र एचएस पांडे उपस्थित रहे। अग्रवाल द्वारा उद्घाटित की गईं इन परियोजनाओं से एसईसीएल के इन क्षेत्रों में कोयला उत्पादन एवं प्रेषण में तेजी आएगी एवं ये कंपनी के कोयला उत्पादन के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
कुसमुंडा ओपनकास्ट परियोजना की क्षमता 50 मिलियन टन प्रतिवर्ष है जिसके लिए एसईसीएल द्वारा 400 से अधिक एचईएमएम (हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी) का क्रय किया जा रहा है जिसमें 60 टन से लेकर 240 टन क्षमता के कुल 261 डंपर शामिल हैं। इसे एवं एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट्स से निकटता को ध्यान में रखते हुए, एचईएमएम मशीनों की मरम्मत और रखरखाव आवश्यकताओं के लिए एक मुख्य वर्कशॉप का निर्माण किया गया है। परियोजना में डंपर वाशिंग सिस्टम, बे लुब्रिकेशन सिस्टम, कम्प्रेस्ड एयर सिस्टम, ईओटी क्रेन, बिजली की आपूर्ति, इंडोर एवं आउटडोर लाइटिंग, संचार, वेंटिलेशन, अग्निशमन आदि जैसे सब-सिस्टम भी शामिल हैं।
2020 में शुरू हुई इस परियोजना की कुल लागत 248 करोड़ रुपए है, और यह कुल 16 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हुई है। इस वर्कशॉप में एचईएमएम मशीनरी हेतु विभिन्न सुविधाओं का प्रावधान किया गया है जैसे एक्सकेवेशन कॉम्प्लेक्स, ई एंड एम कॉम्प्लेक्स, स्टोर कॉम्प्लेक्स, सबस्टेशन, पंपहाउस, प्रशासनिक कार्यालय, कैंटीन, प्राथमिक उपचार केंद्र आदि। एफएमसी (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) के तहत बनाए गए गेवरा रैपिड लोडिंग सिस्टम (आरएलएस) परियोजना की कुल लागत 222 करोड़ रुपये है। इस रैपिड लोडिंग सिस्टम की मदद से हर वर्ष 20 मिलियन टन कोयला डिस्पैच करने में मदद मिलेगी। रैपिड लोडिंग सिस्टम में जहां 8 हॉपरयुक्त ट्रक रिसीविंग स्टेशन बनाया गया है वहीं इसके तहत बनाए गए बंकर की क्षमता लगभग 30,000 टन है। इस बंकर से प्रति घंटे 4,500 झ्र 5,500 टन कोयला रेल रैकों में लोड किया जा सकेगा। वहीं अगर बरौद साइडिंग की बात की जाए सायडिंग की क्षमता 20 हजार टन प्रतिदिन की होगी यानी यहाँ से प्रतिदिन लगभग 4 रैक कोयला भेजा जा सकेगा तथा यह बरौद-कोरीछापर सायडिंग के जरिए खरसिया मेन लाईन से जुड़ा है।