चीन ने चालबाजी में कर दी बड़ी भूल: जिस नदी का वजूद नहीं, उसका भी बदल दिया नाम
नई दिल्ली
हाल ही में चीन ने बड़ी चालाकी से भारतीय क्षेत्र के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में 11 जगहों के नाम बदलकर उनके कथित मानकीकृत नाम जारी किए हैं। इसमें दो रिहाइशी इलाके,पांच पर्वत चोटियां, दो गैर मौजूद नदियां और दो अन्य इलाके शामिल हैं। चीन ने नामों की सूची के साथ मानचत्रि भी जारी किया है। चीन ने नए नामाकरण में दावा किया है कि ये स्थान तिब्बत के निंगची प्रान्त में कोना, ज़यू और मेडोग काउंटी के हिस्से हैं। इससे पहले भी चीन दो बार ऐसा ही कर चुका है लेकिन चीन ने इस चालबाजी और पैतरेबाजी में बड़ी भूल कर दी है। ड्रैगन ने उन नदियों के भी नाम बदल दिए और उनके मानचित्र जारी कर दिए, जो वजूद में ही नहीं हैं।
उदाहरण के लिए, चीन द्वारा नामित दो नदियों "किबुरी हे" और "गेडुओ हे" के कॉर्डिनेट्स नहीं दिए गए हैं क्योंकि धरती पर उसका वजूद है ही नहीं, जबकि नागरिक मामलों के चीनी मंत्रालय ने सिर्फ ये दावा किया है कि ये "विशिष्ट स्थान" थे। इसी तरह, चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में भारत के आखिरी गांव "बैंगकिन" जो दोनों देशों के बीच खींची गई काल्पनिक रेखा मैकमोहन लाइन के करीब है, को ज़ेमिथांग के पीछे के जंगली पहाड़ी क्षेत्र में चीन के तहत एक "जमीन का टुकड़ा" बताया है। 10 अप्रैल से 21 अप्रैल तक बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस पर भारतीय वायु सेना और अमेरिकी वायु सेना के संयुक्त युद्धाभ्यास 'कोप इंडिया' से ठीक पहले चीन की इस कोशिश को आधिकारिक सूत्रों ने खारिज कर दिया है और इसे " शरारत" मात्र करार दिया है।
भारत ने अरूणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का चीन द्वारा पुन: नामकरण करने को सिरे से खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि यह राज्य भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है। चीन इस क्षेत्र को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर इस पर अपना दावा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे सिरे से खारिज करते कहा कि 'मनगढंत' नाम रखने से हकीकत बदल नहीं जायेगी। उन्होंने कहा,"अरूणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा था और रहेगा। 'गढ़े' गए नाम रखने से यह हकीकत बदल नहीं जायेगी।" गौरतलब है कि हाल में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के लिए ''चीनी, तिब्बती और पिनयिन'' अक्षरों में नामों की तीसरी सूची जारी की है। चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए, जिसे वह स्टेट काउंसिल, चीन की कैबिनेट द्वारा जारी भौगोलिक नामों पर नियमों के अनुसार "तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान" बताता है।
चीन की सरकार द्वारा संचालित ने सोमवार को अपनी एक खबर में कहा कि मंत्रालय ने रविवार को 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए, जिनमें दो भूमि क्षेत्रों, दो आवासीय क्षेत्रों, पांच पर्वत चोटियों और दो नदियों सहित सटीक निर्देशांक भी दिए गए हैं। इसके अलावा, स्थानों के नाम और उनके अधीनस्थ प्रशासनिक जिलों की श्रेणी सूचीबद्ध की गई है।चीनी मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए जारी मानकीकृत भौगोलिक नामों की यह तीसरी सूची है। अरुणाचल में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की गई थी, और 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी।
चीन द्वारा अरूणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का पुन: नामकरण ऐसे समय में किया है जब पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में दोनों देशों के बीच शुरू गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। पिछले महीने ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति अभी भी काफी गंभीर बनी हुई है जो कई स्थानों पर दोनों देशों की सीमा पर काफी करीब तैनाती के कारण भी है। हालांकि विदेश मंत्री ने यह भी कहा था कि सीमा पर कई स्थानों पर पीछे हटने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है। भारत का कहना है कि सीमा क्षेत्रों में शांति स्थापित हुए बिना चीन के साथ सामान्य संबंध नहीं हो सकते हैं।