भोपालमध्यप्रदेश

घर में पड़े कूड़े को खिलौनों में बदलकर बच्चों को विज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में सिखाया जा सकता है- मनीष जैन

मेपकॉस्ट में शुरू हुई 16वीं विज्ञान मंथन यात्रा, 52 जिलों के 1 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हुए शामिल

भोपाल

विज्ञान के प्रति विद्यार्थियो में अभिरुचि जाग्रत करने और उन्हें विज्ञान के  इनोवेशन से परिचित कराने के उद्देश्य से सोमवार से 16वीं विज्ञान मंथन यात्रा शुरू हुई। इस यात्रा में प्रदेश के 52 जिलों के आठवीं से बारहवीं कक्षा तक के एक हजार से अधिक स्टूडेंट्स शामिल हुए।

यात्रा के शुभारंभ अवसर पर मिशन एक्सीलेंस के हेड डॉ. विवेक कटारे ने कहा कि यह बेहद प्रसन्नता का विषय है कि इस विज्ञान यात्रा में प्रदेश के स्टूडेंट्स को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। आईसर, एम्प्री, रीजनल साइंस सेंटर और नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च सीएसआईआर हैदराबाद जैसे संस्थान के विशेषज्ञ बच्चों से संवाद कर उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों की जानकारी देंगे।  आरएंडडी सिनॉप्सिस साइंटिस्ट मनीष जैन बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम में मेपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी सहित बड़ी संख्या में विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हुए।

भारत की वैज्ञानिक यात्रा प्रमाणिक रही है

कार्यक्रम में उपस्थित मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने स्कूली स्टूडेंट्स को विज्ञान और तकनीकी के महत्व को बताते हुए कहा कि भारत की वैज्ञानिक यात्रा बहुत प्रमाणिक रही है। भारत के द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में जो भी कदम उठाए गए हैं विश्व में उन्हें सराहना मिली है। इस दौरान डॉ. कोठारी ने भारत के गौरवशाली परंपरा पर चर्चा करते हुए कहा कि पुरानी टेक्नोलॉजी के साथ-साथ हमें नए पर भी ध्यान देना चाहिए। इसके लिए फेसबुक, गूगल अहम उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिये यह जरूरी है कि नए दौर में हम वर्चुअल रियलिटी के बारे में जाने और इसमें किस तरह की करियर के अवसर हैं इसकी खोज करें। आज कल आर्टीफिशियल इटेलिजेंस पूरी दुनिया को बदल रही है।  

सेशन में बच्चों को दिखाए खिलौने

इस दौरान आरएंडडी सिनॉप्सिस साइंटिस्ट मनीष जैन ने बच्चों को वर्चुअली कई तरह के खिलौने बनाना सिखाया। उन्होंने बताया कि कैसे पुरानी सीडी को जोड़कर आप एक नई तरीके की आवाज पैदा कर सकते हैं। इसमें उन्होंने ट्रेन के हॉर्न की भी आवाज निकाली। इसके साथ ही मनीष जैन ने बच्चों को टास्क भी  दिए जिसमें बच्चों को 10 तरह के प्रश्न दिए और इन्हें सॉल्व करके ईमेल करने को कहा। इस सेशन में बच्चों ने मनोरंजक तरीके से विज्ञान को आसान भाषा में सीखा। मनीष जैन ने कहा कि कल्पना की यात्रा में कोई नया काम करने के लिए बच्चों के लिए खिलौने आश्चर्य और आनंद का स्रोत बने रहने चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि घर में पड़े कूड़ा-कर्कट को खिलौनों में बदला जा सकता है जो बच्चों को विज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल बच्चों को विज्ञान एवं गणित जैसे रोचक विषय थ्योरी के रूप में पढ़ाए जाते हैं। इसमें बच्चे बहुत रूचि नहीं लेते हैं। कई बार उन्हें सिद्धांतों को समझने में भी दिक्कत होती है। इसलिए हमने विज्ञान के सिद्धांतों पर काम करने वाले पांच सौ से अधिक खिलौने बनाए हैं।   

स्पेस पर दी गई जानकारी

दूसरे सत्र में एमपीसीएसटी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आलोक चौधरी ने बच्चों को स्पेस बेस्ड इन्फॉर्मेशन सपोर्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह टेक्नोलॉजी आज की नहीं है। इसे कई सालों पहले टीपू सुल्तान ने अपने युद्ध के समय पर उपयोग किया था। इससे उन्होंने दुश्मनों के ऊपर तोप बनाकर हमला किया था। डॉ. चौधरी ने भारत की पहली मिलाइल के बारे में बच्चों को बताया। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी किसी मिसाइल को स्पेस में भेजते हैं तो उसके कई कारण होते हैं। इसके जरिए हम स्पेस में हो रही गतविधियों के बारे में रिसर्च करते हैं और वहां कि लाइफ स्टाइल के बारे में जानते हैं।

भारत में कृषि बेहद महत्वपूर्ण

कार्यक्रम में उपस्थित इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर नेशनल सेंटर फॉर ग्रेप्स पुणे के बाबूसाहेब खाडे ने बच्चों से कृषि और उस पर हो रहे नए डेवलपमेंट पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां कि लगभग 50 प्रतिशत आबादी कृषि से होने वाली आय पर निर्भर करती है। अगर कृषक ना हों तो यह समाज कैसा होगा सोचिए, उनके बिना हमारा जीवन बेहद मुश्किल होगा। उनके होने से हमारी थाली में भोजन आता है। जिस तरह देश और दुनिया में विज्ञान तरक्की कर रहा है उसी तरह कृषि में भी अब नई तकनीक और विज्ञान आ रही है। पहले हम हाथ से फसल काटते थे अब उसके लिए हार्वेस्टर और अन्य प्रकार की मशीनें भी आ गई हैं। खेती को नए किसान अब पारांपरिक तरीके की बजाय नए प्रयोग से मुनाफे वाला बना रहे हैं।श्रीमती नीता श्रीवास्तव ने स्वागत उद्बोधन दिया और प्रभारी मिशन एक्सीलेंस निरंजन शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

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