नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिलाओं के लिए 50% कोटा तय नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में महिला कैडेटों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करना संभव नहीं है। एनडीए को लेकर एक डाली गई याचिका को ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिला कैडेटों के लिए 50% आरक्षण निर्धारित करना अदालत के लिए संभव नहीं होगा। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा, ''महिला उम्मीदवारों के लिए पहले नेशनल डिफेंस एकेडमी में जगह नहीं थी लेकिन बदलते वक्त को देखते हुए महिला उम्मीदवारों के लिए वहां सीटें दी गई है। महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटें एक साथ मिलना संभव नहीं है। दूसरे मामले में सभी प्रासंगिक मुद्दों पर गौर किया जा रहा है कि महिला उम्मीदवारों के लिए NDA में क्या सबसे बेस्ट होगा, इसपर चर्चा की जा रही है।''
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने ये भी कहा कि उनकी पीठ याचिकाओं के एक अलग बैच में पहले से ही मामले पर सुनवाई कर रही है। जहां कई मामले विचाराधीन हैं। बता दें कि एनडीए के हर कोर्स में तीनों सेना बल के लिए 370 रिक्तियां होती हैं। इनमें से 208 कैडेट भारतीय सेना में, 120 भारतीय वायु सेना में और 42 भारतीय नौसेना में कमीशन लेते हैं। पुणे स्थित संस्थान एनडीए में महिला कैडेटों के लिए प्रति बैच 19 सीटें ही सीमित है। एनडीए की परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाती है। NDA-I साल की पहली छमाही में और NDA-II दूसरी छमाही में।
'याचिकाकर्ता के साथ सहानुभूति है…'
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ''हमें याचिकाकर्ता के साथ सहानुभूति है। जिसने दावा किया कि कम अंक वाले कुछ पुरुष उम्मीदवारों के पास होने के बावजूद उसका सेलेक्शन नहीं हुआ। अदालत महिला उम्मीदवारों के लिए इस समय एनडीए में 50-50 कोटा देने पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकती है। पीठ ने कहा, 'हम इसे इस तरह नहीं कर सकते… हम कैसे कह सकते हैं कि उन्हें 50 फीसदी सीटें दी गई हैं? एनडीए पहले सिर्फ पुरुषों के लिए थी और उनकी ही दुनिया थी। वहां से हम उस स्थिति तक पहुंचे हैं जहां महिला उम्मीदवारों के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं बनाई गईं और कुछ सीटें भी दी गई है। इसमें कई कारक शामिल हैं और हम इसे दूसरे मामले में भी देख रहे हैं। हम ये नहीं कह सकते है कि एनडीए में अब 50 फीसदी महिलाओं की भर्ती होगी।''
'यह एक नीतिगत मुद्दा है…'
पीठ ने कहा, ''यह एक नीतिगत मुद्दा भी है। हम इस मामले में महिलाओं को लेकर क्या सबसे बेस्ट हो सकता है, इसके अच्छे रिजल्ट के लिए भी कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि उन्हें अब 50:50 के अनुपात में उम्मीदवार लेने चाहिए। चीजों को धीरे-धीरे और निश्चित ढांचे के भीतर होना चाहिए..आपका उद्देश्य नेक हो सकता है लेकिन हम इसे इस तरह से नहीं कर सकते हैं।'