माफिया की दुनिया की दमदार कहानी ‘बंबई मेरी जान’
मुंबई
मुंबई अंडरवर्ल्ड में 1940 से 1980 के दशक में बहुत कुछ हुआ। यह वह दौर था, जब देश की आर्थिक राजधानी में माफिया पैर पसार रहा था। तब समंदर के रास्ते तस्करी सबसे जघन्य अपराध था। 'बंबई मेरी जान' की कहानी इस दौर की है, जहां हाजी और पठान माफिया के राजा थे। यह सीरीज दारा कादरी के माफिया की दुनिया में एंट्री और उसके सरताज बनने की बानगी है। दारा का कद अपराध की दुनिया में जहां लगातार बढ़ता जा रहा था, वहीं उसके ईमानदार पुलिसवाले पिता की परेशानी भी बढ़ती जा रही थी। अपने पिता की कानूनी विरासत और 'बंबई का बादशाह' बनने की इच्छा के बीच फंसा हुआ दारा क्या गुल खिलाता है, यह जानने के लिए आपको यह सीरीज देखनी पड़ेगी।
'बंबई मेरी जान' वेब सीरीज रिव्यू
इस वेब सीरीज की कहानी आजादी के बाद के भारत पर आधारित है। तब मुंबई को बंबई और बॉम्बे के नाम से जाना जाता था। अंडरवर्ल्ड का बोलबाला था। 'बंबई मेरी जान' एक इंटेंस क्राइम ड्रामा सीरीज है, जो शहर के इतिहास को खंगालती है। 'कंपनी', 'सत्या', 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई' और यहां तक कि हालिया डॉक्यूमेंट्री 'मुंबई माफिया: पुलिस वर्सेस द अंडरवर्ल्ड' जैसी फिल्मों से प्रेरणा लेते हुए 10 एपिसोड की यह सीरीज अपनी काल्पनिक कहानी लिए आगे बढ़ती है। कहानी में बाप-बेटे के बीच भावनात्मक उथल-पुथल पर भी फोकस किया गया है।
रेंसिल डिसिल्वा और शुजात सौदागर के डायरेक्शन में बनी यह वेब सीरीज बंबई में आपराधिक गतिविधियों पर गहराई से प्रकाश डालती है। कहानी के एक हिस्से में दाऊद इब्राहिम के कुख्यात क्राइम सिंडिकेट 'डी कंपनी' का जन्म भी शामिल है। जो एक चीज इस सीरीज को सबसे अलग बनाती है, वो है कि कादरी परिवार के स्ट्रगल पर की गई रिसर्च। इस्माइल कादरी (के के मेनन) एक ईमानदार पुलिसकर्मी है, जो मुंबई को अपराध मुक्त करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। फिर चाहे इसके लिए उसे अपने परिवार को नुकसान क्यों नहीं पहुंचाना पड़े। लेकिन इसके ठीक उलट उसका बेटा दारा कादरी (अविनाश तिवारी) अपने भाई-बहनों सादिक (जितिन गुलाटी), अज्जू (लक्ष्य कोचर) और बहन हबीबा (कृतिका कामरा) के साथ बंबई का राजा बनने का सपना देखच रहा है।
सीरीज की कहानी में बंबई पर माफिया सरगना सुलेमान हाजी (सौरभ सचदेवा) का कंट्रोल है। वह हैदराबाद का एक प्रवासी है। कालेधन का बादशाह है। उसका साथी अजीम पठान (नवाब शाह) अफगानिस्तान से है। दोनों अपने अवैध साम्राज्य को बढ़ाने के लिए अन्ना (दिनेश प्रभाकर) से हाथ मिलाते हैं। पूरा मुंबई शहर एक गहरे अपराध के दलदल में उतरता जाता है। इस खतरे से निपटने के लिए इस्माइल कादरी और उसका साथी अधिकारी यूनिस (रोहित कोकाटे), अहमद (तौकीर आलम) ने एक टीम बनाई है, जिसका नाम 'पठान स्क्वाड' है।