BJP महिलाओं के जरिए साउथ वाला तिलिस्म तोड़ेगी? केरल में PM मोदी के स्त्री शक्ति कार्यक्रम से समझिए
नईदिल्ली
दक्षिण भारत में कर्नाटक और कुछ हद तक तेलंगाना के अलावा बीजेपी अबतक किसी राज्य में अपनी मौजूदगी का खास अहसास नहीं करा पाई है। लेकिन अब उसे दक्षिण में पांव जमाने का फॉर्म्युला मिल गया है। ये फॉर्म्युला है 'नारी शक्ति' का। मोदी सरकार दशकों से लंबित महिला आरक्षण बिल को संसद से पास कराने की ऐतिहासिक कामयाबी को लोकसभा चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी कर ली है। हाल के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की कामयाबी के पीछे महिला वोटरों की भूमिका बहुत अहम थी। अब पार्टी इसी फॉर्म्युले के जरिए दक्षिण भारत में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की तैयारी कर रही है। इसी सिलसिले में अगले महीने 2 जनवरी को केरल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेगा कार्यक्रम 'स्त्री शक्ति समागमम' होने जा रहा है। इसमें दक्षिण भारतीय राज्य की 2 लाख महिलाएं हिस्सा लेंगी। इस कार्यक्रम का आयोजन बीजेपी की स्टेट यूनिट कर रही है जिसका मकसद ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल को संसद के दोनों सदनों से पास कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केरल की महिलाओं की तरफ से थैंक्यू कहना है।
केरल बीजेपी के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन का तो दावा है कि 'स्त्री शक्ति' कार्यक्रम अभूतपूर्व होगा। दक्षिण भारत में किसी भी राजनीतिक दल ने अबतक इतने बड़े पैमाने पर महिलाओं की जुटान नहीं की है। पीएम मोदी का कार्यक्रम थ्रिसूर के टेक्किनकाडु ग्राउंड में होगा जिसमें तमाम बैकग्राउंड की महिलाएं शामिल होंगी। इसमें गृहणियां भी होंगी और कामकाजी महिलाएं भी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी होंगी तो आशा वर्कर भी। इसमें महिला उद्यमी भी होंगी तो मनरेगा वर्कर भीं। तबकरीबन हर क्षेत्र से जुड़ीं महिलाएं इसमें शिरकत करेंगी।
आधी आबादी को लुभा रही बीजेपी
नारी शक्ति वंदन बिल को संसद की मंजूरी मिलने के बाद भी लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए अभी इंतजार करना होगा। इसकी वजह परिसीमन है जिसके बगैर महिला आरक्षण कानून लागू नहीं हो सकता। लागू होने में भले ही देरी लगे लेकिन दशकों से लटके बिल को संसद से पास कराना अपने आप में बहुत बड़ी कामयाबी है। तभी तो बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'शायद, भगवान ने इस काम के लिए मुझे ही चुना था।' बीजेपी इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली। जातिगत जनगणना के शोर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन 4 जातियों का जिक्र करते हैं, उसमें महिलाएं भी शामिल हैं। जातिगत जनगणना को बांटने की राजनीति बताने वाले पीएम कहते हैं कि देश में सिर्फ 4 जातियां ही हैं जिनका विकास किए बगैर देश विकसित नहीं हो सकता और वे हैं गरीब, युवा, महिलाएं और किसान। हालिया विधानसभा चुनावों में बीजेपी की कामयाबी के पीछे महिला वोटरों में उसकी गहरी होती पैठ है। मध्य प्रदेश में तो पार्टी की प्रचंड जीत का बड़ा श्रेय शिवराज सिंह सरकार की तरफ से शुरू की गईं लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना जैसी स्कीम, सस्ते गैस सिलिंडर जैसी योजनाओं को जाता है।
आधी आबादी- बीजेपी का नया वोट बैंक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी ने पिछले कई सालों की कोशिशों से धीरे-धीरे एक नया वोट बैंक तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। ये नया वोट बैंक है आधी आबादी का यानी महिलाओं का। ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल को संसद से पास कराना उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। एक ही बार में तीन बार तलाक बोलकर महिला से रिश्ता खत्म करने की बुराई तलाक-ए-बिद्दत को बैन करने से मुस्लिम महिलाओं को फायाद पहुंचा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्यों की कई बीजेपी सरकारें महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचाने वाली कई तरह की वेल्फेयर स्कीम चला रही हैं। केंद्र सरकार की बात करें तो उसकी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्ज्वला योजना, जनधन अकाउंट, मिशन पोषण, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन, मैटरनिटी लीव को 12 की जगह 26 हफ्ते करना, मातृवंदन योजना के तहत बच्चे के जन्म पर मां को 5000 रुपये जैसी तमाम योजनाएं आधी आबादी पर ही केंद्रित हैं। सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने जैसे कदम से समान अवसर और समानता का अधिकार देने की कोशिश की। उज्ज्वला योजना के तहत 9.6 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन का लाभ मिला है। जनधन योजना के तहत 27 करोड़ महिलाओं का बैंक में खाता खुला है। बैंक से बिना गारंटी के कर्ज वाली मुद्रा लोन स्कीम के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। स्टैंड अप इंडिया स्कीम के लाभार्थियों में आधे से ज्यादा महिलाएं हैं। चुनावों में बीजेपी को इन स्कीमों का लाभ मिलता रहा है।
महिलाएं कर रहीं बीजेपी को मजबूत
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तब देश में कुल 91 करोड़ वोटर थे। इनमें से 44 करोड़ महिलाएं थीं। चुनाव में महिलाएं बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं। 2019 में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने वोट दिए थे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कुल रजिस्टर्ड महिला वोटरों में से 67.18 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया जबकि पुरुषों के मामले में ये आंकड़ा 67.02 प्रतिशत था। तमिलनाडु, केरल, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा जैसे 12 राज्य ऐसे थे जहां महिलाओं का वोटर टर्नआउट पुरुषों से ज्यादा था। इन राज्यों में लोकसभा की 200 सीटें हैं। तमिलनाडु और केरल को छोड़कर बीजेपी ने इन सभी राज्यों में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। सीएसडीए के आंकड़े बताते हैं कि देश में महिलाओं की पसंदीदा पार्टी बीजेपी है। 2019 में देशभर में बीजेपी को औसतन 36 प्रतिशत महिलाओं का वोट मिला। कांग्रेस को 20 प्रतिशत और बाकी 44 प्रतिशत वोट टीएमसी, बीजेडी जैसे क्षेत्रीय दलों को मिले थे।
2019 में लोकसभा की कम से कम 160 सीटें ऐसी थीं जहां महिलाओं का वोटर टर्न आउट पुरुषों के मुकाबले ज्यादा था और इन सीटों में ज्यादातर पर बीजेपी ने ही जीत हासिल की। केरल में बड़े पैमाने पर 'स्त्री शक्ति' कार्यक्रम के जरिए बीजेपी अब दक्षिण भारत में भी महिलाओं को लुभाने का दांव चल रही है। केंद्र की योजनाओं से फायदा तो दक्षिण भारत की महिलाओं को भी हो रहा है लेकिन वहां पार्टी की मौजूदगी कुछ खास नहीं है। अब केंद्र की योजनाओं से फायदा पाने वालीं महिलाओं तक पहुंचकर पार्टी वहां दमदार मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश कर रही है।