कुकी रैली में शामिल हुए मिजोरम के सीएम तो भड़के बीरेन सिंह, दे दी वॉर्निंग
इंफाल
मणिपुर में हिंसा शुरू हुए तीन महीने का वक्त होना जा रहा है लेकिन अब तक इसपर विराम नहीं लगा है। वहीं अब इस जातीय हिंसा को लेकर पड़ोसी राज्य मिजोरम की सरकार से भी टकराव नजर आने लगा है। मणिपुर में हिंसा के दौरान कुकी समुदाय के प्रति संवेदना जताने के लिए मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा बुधवार को एक रैली में शामिल हुए थे। इसके बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भड़क गए और उन्होंने कहा कि राज्य के आंतरिक मामले में उन्हें दखल देने की जरूरत नहीं है।
13 हजार आदिवासियों को मिली शरण
मणिपुरी में हिंसा शुरू होने के बाद से मिजोरम में कम से कम 13 हजार कुकी समुदाय के लोगों को शरण दी गई है। बता दें कि मिजो आदिवासियों का कुकी आदिवासियों से गहरा जुड़ाव रहा है। यही नहीं म्यांमार के चिन समुदाय से भी इनके संबंध रहे हैं। म्यांमार में सेना और विरोधी दल के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से 31 हजार चिन शरणार्थी मिजोरम आ चुके हैं।
करगिल विजय दिवस के मौके पर बोलते हुए बीरेन सिंह ने कहा, तनाव तब शुरू हुआ जब राज्य की सरकार ने ड्रग तस्करों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। मणिपुर कि सरकार कुकी समयुदाय के खिलाफ नहीं है। बता दें कि कुकी समुदाय के संगठनों का कहना है कि मुख्यमंत्री आदिवासियों के खिलाफ काम कर रहे हैं। कुकी मणिपुर के पहाड़ी हिस्सों में बहुमत में हैं तो वहीं घाटी में मैतेयी की संख्या ज्यादा है।
सिंह ने कहा कि सरकार मणिपुर में हो रही घटनाओं से निपटने का पूरा प्रयास कर रही है और उन्होंने काह कि जो लोग राज्य की अखंडता को खत्म करना चाहते हैं उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। मिजोरम की राजधानी एजल में आयोजित रैली में जोरामथंगा शामिल हुए थे। बीरेन सिंह ने इस रैली को खतरनाक बताया और कहा कि उनके खिलाफ नारेबाजी की गई है। उन्होंने कहा, मैं मिजोरम के मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि दूसरे राज्य के आंतरिक मामले में दखल ना दें।
उन्होंने यूरोपिय संसद पर कहा कि बिना हकीकत जाने ही जो प्रस्ताव 13 जुलाई को लाया गया है वह निराधार है। इसमें कहा गया है कि सरकार को अल्पसंख्यकों को बचाने का काम करना चाहिए। हालांकि मणिपुर में हुए संघर्ष का किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है।