जातीय जनगणना पर HC के आगे भी लड़ेगी बिहार सरकार, कानून बनाने को भी तैयार
बिहार
बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाई कोर्ट ने अंतिम फैसला होने तक रोक लगा दी है। इस संबंध में अदालत ने अगली सुनवाई 4 जून को करने की बात कही थी, लेकिन बिहार सरकार की ओर से जल्दी प्रक्रिया के आग्रह पर मंगलवार को ही मामले पर विचार किया जाएगा। इस बीच खबर है कि बिहार सरकार जातीय जनगणना पर आगे बढ़ने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। इसके तहत सरकार पहले सभी कानूनी पहलुओं को आजमाएगी और उसके बाद भी यदि जातीय जनगणना को मंजूरी नहीं मिल पाई तो फिर विधानसभा में कानून बनाने का रास्ता अपनाया जाएगा।
राज्य सरकार के एक मंत्री का कहना है कि हम जातीय जनगणना कराके रहेंगे। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में सामाजिक योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी और हर वर्ग को सहूलियतें दी जा सकेंगी। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मसला है और हम इसीलिए इसे पूरा कराने पर अड़े हैं। बिहार के मंत्री ने कहा कि जातिगत आधार पर जनसंख्या का आंकड़ा सामने आना चाहिए ताकि कोई भी सरकारी नीति तैयार की जा सके। समाज में ओबीसी और ईबीसी यानी आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तौर पर दो बड़े समुदाय हैं। हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि हर बिरादरी में लोगों की आर्थिक स्थिति क्या है।
जेडीयू के एक नेता ने कहा कि कास्ट सर्वे से पता चलेगा कि किस जाति में कितने लोग गरीब हैं। इस आधार पर हमें आर्थिक पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण का लाभ देने में भी सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि अभी कोई भी अपनी कमाई को तय लिमिट से कम बताकर खुद को EWS के दायरे में बता देता है। लेकिन सर्वे के नतीजे आ जाएंगे तो सबका डेटा हमारे पास होगा और नीति तैयार करना आसान हो जाएगा। फिलहाल सरकार अदालत के फैसले का इंतजार कर रही है और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक का रुख किया जाएगा। वहां भी राहत न मिलने की स्थिति में विधानसभा से कानून पारित कराया जाएगा।