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ओडिशा केस में अदालत का बड़ा फैसला, भरतपुर थाने के SHO का होगा नार्को, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफी टेस्ट

भरतपुर
ओडिशा में आर्मी अफसर और उसकी मंगेतर के साथ मारपीट और उत्पीड़न मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. भरतपुर थाने के जिस पुलिस अफसर (SHO) पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं, उसका नार्को, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफी टेस्ट होगा.

भरतपुर के थाना प्रभारी दीनकृष्ण मिश्र ने कोर्ट में तीनों टेस्ट करवाने के लिए अपनी सहमति दी है. SHO ने कोर्ट में कहा, मैं निर्दोष हूं, मैं अपराध में शामिल नहीं हूं. मेरे खिलाफ गलत आरोप लगाए गए हैं. मुझे नार्को, पॉलीग्राफी और ब्रेन फिंगर प्रिंटिंग टेस्ट से गुजरने में कोई आपत्ति नहीं है.

SHO के बयान के बाद कोर्ट ने तीनों टेस्ट करवाने का ऑर्डर जारी किया है. इस मामले में ओडिशा की क्राइम ब्रांच टीम जांच कर रही है.

सरकार ने न्यायिक जांच के दिए हैं आदेश

इससे पहले राज्य सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश भी जारी किए हैं. मुख्यमंत्री मोहन माझी सरकार का कहना है कि न्यायिक जांच की अध्यक्षता जस्टिस चितरंजन दास करेंगे और 60 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल की जाएगी. राज्य सरकार ने उड़ीसा हाईकोर्ट से पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने का भी अनुरोध किया है. सरकार का कहना है कि हम भारतीय सेना का सम्मान करते हैं. हमारी सरकार महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और अधिकारों को लेकर पूरी तरह सजग है.

थाने के पांच कर्मी पहले ही हो चुके हैं सस्पेंड

इससे पहले सेना अधिकारी को प्रताड़ित करने और उसकी मंगेतर का उत्पीड़न करने के आरोप में पुलिस महकमे ने भरतपुर थाने के पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.

क्या है पूरा मामला?

सेना के मेजर ने आरोप लगाया था कि वो 14 सितंबर की रात अपनी मंगतेर के साथ रेस्टोरेंट से लौट रहे थे. इस बीच रास्ते में कुछ अराजकतत्वों ने पीछा कर रोक लिया और घेर लिया. इस पूरे मामले की वो शिकायत करने के लिए भरतपुर थाने पहुंचे तो वहां बदसलूकी, मारपीट और उत्पीड़न किया गया. शिकायतकर्ता मेजर पश्चिम बंगाल में तैनात हैं.

 

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