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डोकलाम विवाद पर भूटान ने बदला 6 साल पुराना रुख, PM के बयान ने बढ़ाई भारत की चिंता

नई दिल्ली
छह साल पहले (2017 में) डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी और लंबे समय तक दोनों देश की सेना आमने-सामने डटी रही। तब भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा था कि डोकलाम भारत और भूटान के बीच का मुद्दा है। अब छह साल बाद भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा है कि डोकलाम विवाद को भारत, भूटान और चीन को मिलकर सुलझाना चाहिए।

भूटानी प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च ऊंचाई वाले पठार (डोकलाम) पर विवाद का समाधान खोजने में बीजिंग का भी समान अधिकार है, जबकि नई दिल्ली का मानना ​​है कि डोकलाम पर चीन ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। भूटानी पीएम के ताजा बयान ने भारत की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि भूटानी पीएम का बयान भारत के रुख के एकदम उलट है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बेल्जियम के दैनिक अखबार 'ला लिबरे' को दिए एक इंटरव्यू में भूटानी प्रधान मंत्री लोटे त्शेरिंग ने कहा, "डोकलाम समस्या का समाधान अकेले भूटान के हाथ में नहीं है। हम तीन पक्ष हैं। कोई देश छोटा या बड़ा नहीं होता,तीनों समान देश हैं, प्रत्येक की गिनती एक तिहाई है।" भूटानी प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू में कहा, "हम तैयार हैं। जैसे ही अन्य दो पक्ष भी तैयार हो जाते हैं, हम चर्चा कर सकते हैं।" भूटान के पीएम का यह बयान इस बात का संकेत है कि भूटान भारत और चीन के साथ ट्राई-जंक्शन की स्थिति पर बातचीत करने को तैयार है।

शेरिंग का यह बयान 2019 में 'द हिंदू' को दिए गए उनके ही बयान से एकदम उलट है। 2019 में शेरिंग ने कहा था कि 'किसी भी पक्ष' को तीन देशों के बीच मौजूदा ट्राई-जंक्शन पॉइंट के पास 'एकतरफा' कुछ भी नहीं करना चाहिए। दशकों से, वह ट्राई-जंक्शन पॉइंट इंटरनेशनल मैप में दिखाया जाता रहा है। यह बटांग ला नाम की जगह पर स्थित है जिसके उत्तर में चीन की चुम्बी घाटी है, जबकि भूटान दक्षिण-पूर्व में और भारत का सिक्किम राज्य पश्चिम दिशा में अवस्थित है।

बता दें कि भारत हमेशा से डोकलाम में चीन के विस्तारवादी नीति का विरोध करता रहा है। डोकलाम का पठार संवेदनशील रूप से सिलीगुड़ी कॉरीडोर के करीब है। तीनों देशों के बीच घिरा जमीन का वह संकरा भाग भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शेष देश से अलग करता है।

 

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