विपक्षी एकता की पहली बैठक से पहले ऊहापोह में कांग्रेस, क्यों कर रही तारीख बढ़ाने की मांग
नई दिल्ली
विपक्ष वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में एकता को लेकर उत्साहित है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 12 जून को होने वाली इस बैठक में विपक्ष के कई बड़े नेताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है, लेकिन इसको लेकर कांग्रेस ऊहापोह में है। अभी तक यह तय नहीं है कि पार्टी की तरफ से बैठक में कौन शामिल होगा। उम्मीद है कि बैठक में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हो सकती है, लेकिन कांग्रेस इस पर जल्दबाजी में निर्णय लेने के हक में नहीं है। जदयू के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि 12 जून की तिथि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से चर्चा करने के बाद तय की गई है। उन्हें बताया गया था कि राहुल 10 जून तक विदेश यात्रा से लौट आएंगे, लेकिन बैठक में पार्टी की ओर से कौन हिस्सा लेगा यह तय नहीं हो पाया है। कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि विपक्षी एकता की मुहिम में 12 जून की बैठक अहम साबित होगी।
तारीख बढ़ाने की मांग
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने बैठक की तिथि आगे बढ़ाने का आग्रह किया था, लेकिन जदयू का तर्क है कि पहली बैठक है, इसलिए टालना उचित नहीं है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस 12 जून को पटना में होने वाली बैठक में शामिल होगी। इसमें कौन हिस्सा लेगा, इस बारे में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेता निर्णय करेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि बैठक में पार्टी किसी वरिष्ठ नेता को प्रतिनिधि के तौर पर भेज सकती है।
कांग्रेस पार्टी विपक्षी दलों की पहली औपचारिक बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का कोई फॉर्मूला तय करने के भी पक्ष में नहीं है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश संगठनों से चर्चा के बाद किसी नतीजे पर पहुंचना चाहता है। ताकि, 2024 के साथ भविष्य की संभावनाएं भी बरकरार रहे। क्योंकि, कई राज्यों में उसका सहयोगी दलों से मुकाबला है।
पहले साथ चुनाव लड़ने पर सहमति बने
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कांग्रेस को दो सौ सीट के फॉर्मूले से पार्टी सहमत नहीं है। कांग्रेस ने वर्ष 2019 के चुनाव में 421 और 2014 के चुनाव में 464 सीट पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने पिछले चुनाव में 52 सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि दो सौ से ज्यादा सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी। 2009 में यह संख्या अधिक थी। पार्टी के एक नेता ने कहा कि पहले इस बात सहमति बननी चाहिए कि हम एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इसके बाद पार्टियों के बीच जो मतभेद हैं, उन्हें दूर किया जाए। इसके बाद लोकसभा की सीटों के बंटवारे पर बात होनी चाहिए। पर समान विचारधारा वाली कई पार्टियां चर्चा से पहले सीटों का बंटवारा चाहती है।
450 सीटों पर सहमति के करीब
दूसरी तरफ जदयू नेताओं के कहना है कि विपक्षी दल करीब 450 सीट पर आपसी सहमति के करीब हैं। वह बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस को भी स्वभाविक मित्र मानते हैं, क्योंकि इनके राज्यों में भी भाजपा अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। इसलिए देर सबेर इन दलों को भी विपक्षी एकता में शामिल होना पड़ेगा।
उद्धव ठाकरे, शरद पवार भी हो सकते हैं शामिल
शिवसेना (उद्धव ठाकरे) नेता संजय राउत ने गुरुवार को कहा कि उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को भी पटना में विपक्ष की बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि हम पटना में होने वाली इस बैठक में हिस्सा लेने बारे में सोच रहे हैं।
स्टालिन ने तिथि आगे बढ़ाने का आग्रह किया
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने 12 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक की तिथि को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि मैं 12 जून को मेट्टूर बांध के उद्घाटन समारोह में भाग लूंगा। इसलिए इस बैठक में हिस्सा नहीं ले सकता।