15 अगस्त से पहले एनआईए के 5 राज्यों में PFI के 14 ठिकानों पर छापेमारी
केरल
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों के कन्नूर, मलप्पुरम, दक्षिण कन्नड़, नासिक, कोल्हापुर, मुर्शिदाबाद और कटिहार जिलों में कुल 14 स्थानों पर छापेमारी की गई।
अधिकारी ने कहा कि छापेमारी के दौरान कई आपत्तिजनक डिजिटल उपकरणों के साथ-साथ दस्तावेज भी जब्त किए गए।
छापेमारी और तलाशी अभियान के दौरान एनआईए को मिले कई आधुनिक डिवाइस
आतंकी साजिशों और वारदातों की जांच कर रही एजेंसी ने केरल के कन्नूर और मलप्पुरम, कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, महाराष्ट्र के नासिक और कोल्हापुर, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और बिहार के कटिहार में कुल 14 ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी और तलाशी अभियान के दौरान एनआईए को आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण मिले। इसके अलावा एजेंसी की टीम ने कई कट्टरपंथी दस्तावेज भी जब्त किए हैं।
हिंसक भारत विरोधी एजेंडे के लिए युवाओं को कट्टरपंथी और हथियारबंद बनाने की साजिश
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) प्रतिबंधित पीएफआई और उसके शीर्ष नेतृत्व द्वारा आतंकवादी वारदातों के जरिए साल 2047 तक भारत में “इस्लामिक खिलाफत” स्थापित करने के लिए एक सशस्त्र कैडर बनाने और पीएफआई सेना तैयार करने की कोशिशों को उजागर करने और उन्हें नाकाम करने के लिए काम कर रही है। एनआईए जांच में दावा किया गया है कि पीएफआई समाज के कुछ वर्गों को एक दूसरे के खिलाफ लड़ाकर अपने हिंसक भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें हथियार प्रशिक्षण मुहैया कराने की साजिश रच रहा है।
मास्टर ट्रेनर के रूप में काम कर रहे हैं मध्य स्तर के PFI एजेंट, एनआईए को शक
एनआईए को शक है कि कई मध्य स्तर के पीएफआई एजेंट मास्टर ट्रेनर के रूप में काम कर रहे हैं। वह अपने अत्यधिक कट्टरपंथी कैडरों को लोहे की छड़ों, तलवारों और चाकू जैसे हथियारों के इस्तेमाल में हुनरमंद बनाने के लिए विभिन्न राज्यों में हथियार-प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते हैं। बीच-बीच में हिंसा और तोड़फोड़ की सामूहिक हरकतों के जरिए पीएफआई उनकी सक्रियता और साजिशों पर अमल की तैयारी की जांच करती है।
छापेमारी का उद्देश्य भारत की शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की प्रतिबंधित संगठन की साजिश का पर्दाफाश करना था।
अधिकारी ने कहा, “एनआईए आतंक, हिंसा और तोड़फोड़ के कृत्यों के माध्यम से वर्ष 2047 तक भारत में इस्लामिक खलीफा स्थापित करने के लिए एक सशस्त्र कैडर बनाने और एक पीएफआई सेना बनाने के पीएफआई और उसके शीर्ष नेतृत्व के प्रयासों को उजागर करने और विफल करने के लिए काम कर रहा है।“
एनआईए ने कहा, "पीएफआई समाज के कुछ वर्गों के खिलाफ लड़कर अपने हिंसक भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें हथियार प्रशिक्षण प्रदान करने की साजिश रच रहा है।"
एनआईए को संदेह है कि कई मध्य स्तर के पीएफआई एजेंट मास्टर ट्रेनर के रूप में काम कर रहे हैं, जो अपने अत्यधिक कट्टरपंथी पीएफआई कैडरों को हथियारों, लोहे की छड़ों, तलवारों और चाकूओं के इस्तेमाल का प्रशिक्षण देने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में हथियार प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहे हैं।
खुफिया और खोजी विश्लेषण और अंतर्दृष्टि के आधार पर यह इन कैडरों और गुर्गों की पहचान करने और गिरफ्तार करने के लिए पिछले कई महीनों से विभिन्न राज्यों में कई स्थानों पर छापेमारी कर रहा है।
पीएफआई के खिलाफ मामला एनआईए, दिल्ली द्वारा अप्रैल 2022 में दर्ज किया गया था। सितंबर 2022 के दौरान देशव्यापी अभियानों के बाद एजेंसी द्वारा आपत्तिजनक साक्ष्य एकत्र किए गए, जिससे एक दर्जन से अधिक एनईसी सदस्यों सहित कई शीर्ष पीएफआई नेताओं की गिरफ्तारी हुई।
एनआईए ने आरोपियों के खिलाफ गहन जांच की और मार्च 2023 में उनमें से 19 के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
आरोपपत्र में एक संगठन के रूप में पीएफआई का भी नाम था। इसके बाद अप्रैल 2023 में पीएफआई के हथियार प्रशिक्षण के राष्ट्रीय समन्वयक के खिलाफ एक पूरक आरोपपत्र दायर किया गया था।
देश में तबाही मचाने के लिए संवेदनशील युवाओं को शिक्षित करने और प्रशिक्षित करने की पूरी पीएफआई साजिश का पता लगाने और उसे बेनकाब करने के लिए जांच जारी है। साजिश का अंतिम उद्देश्य भारत की आजादी की एक सदी पूरी होने तक एक इस्लामिक राज्य बनाना है।