RSS से चला 2024 चुनाव से पहले बड़ा दांव, संघ में महिलाओं का प्रवेश
पनीपत. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक हरियाणा के पनीपत में हो रही है. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब आरएसएस गठन के 100 साल पूरे होने जा रहे हैं. शताब्दी वर्ष के लिए संघ संगठन के विस्तार और सामाजिक समरसता का माहौल बनाने के एजेंडे पर आगे बढ़ेगा. यहां संघ अपनी शाखाओं में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाने और मुसलमानों को शिक्षित पर भी मंथन करने वाला है. प्लान बनाकर आरएसएस इस मिशन को पूरा करने की कवायद कर रहा है.
1- संघ महिलाओं के बीच बढ़ाएगा भागीदारी
आरएसएस महिलाओं की लिए अपने दरवाजे खोलने जा रहा है. संघ की शाखाओं में महिला स्वयंसेवक भी दिखाई दे सकती हैं. इस बात के संकेत अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने दिए हैं. उन्होंने मीडिया से कहा कि महिलाओं को शाखा में जोड़ने को लेकर विचार किया जा रहा है. इस बैठक में इस पर विचार किया जाएगा और उसे बाद में बताया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि महिलाओं के लिए शाखाएं अलग होंगी या फिर संगठन ही अलग होगा.
2 . मुस्लिमों में पैठ जमाने की कवायद
अल्पसंख्यक समुदाय के बीच संघ अपनी पैठ जमाने की कवायद के लिए संपर्क और संवाद कार्यक्रम कर रहा है. हर समाज की धार्मिक आस्था के हिसाब से उससे संवाद बढ़ाना और उनके कार्यक्रमों में शामिल होना. ईसाई से लेकर मुस्लिम समुदाय के धर्म गुरुओं और बुद्धजीवियों के साथ संघ के लोग मिल रहे हैं. हरियाणा में संघ की हो रही बैठक में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के सहयोग से समुदाय के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से संवाद बढ़ाए जाने पर बातचीत होगी. संघ के प्रति जो भ्रम और भ्रांतियां हैं, उनको दूर किया जाएगा और राष्ट्र-समाज के लिए एक साथ काम करने के समन्वय पर चर्चा होगी.
पीएम नरेंद्र मोदी भी हैदराीबाद और नई दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक स्पष्ट कह चुके हैं कि बोहरा और पसमांदा मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा संपर्क करना चाहिए. बीजेपी यूपी और बिहार में कई पसमांदा सम्मलेन करा चुकी है. पार्टी ने तमाम पसमांदा नेताओं को राजनीतिक अहमियत भी दे रही है. इस तरह से संघ और बीजेपी दोनों ही अपने-अपने स्तर से मुस्लिमों के बीच अपनी पकड़ जमाने में जुटे हैं.
3- महिला विरोधी को छवि को तोड़ने की कोशिश
आरएसएस पर महिला विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. विपक्षी पार्टियां समय-समय पर संघ पर आरोप लगाती रही हैं कि वह संघ दकियानुसी सोच रखता है और उनका हिंदू राष्ट्र का सपना हिंदुस्तान की एकता के लिए खतरा है. शाखाओं में महिलाओं को जोड़ने का मुद्दा तब गरमाया था जब राहुल गांधी ने इसको लेकर संघ पर निशाना साधा था. गुजरात में महिलाओं की एक सभा में उन्होंने पूछा था कि क्या उन्होंने संघ की शाखाओं में किसी महिला को शॉर्ट्स पहने देखा है. आरएसएस पर महिला विरोधी होने का आरोप वक्त- वक्त राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस लगाती रही है.
दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्र सेविका समिति, एबीवीपी, दुर्गा वाहिनी, भारत विकास परिषद जैसे संघटनों में बड़ी संख्या में महिलाएं होने के बाद भी आरएएसएस पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है रहा है, लेकिन संघ हरियाणा की बैठक में महिलाओं को सीधे तौर पर शाखा में जोड़ने पर एक बड़ा फैसला लेने वाला है जो विरोधियों को बड़ा जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि, आरएसएस पहले ही पुणे में परिवार शाखाओं का आयोजन काफी पहले शुरू कर चुका है और यूरोप, अमेरिका में ये परिवार शाखाएं मौजूद हैं. मिली जानकारी के मुताबिक परिवार शाखा का आयोजन की अवधारणा वर्तमान में संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले लाए थे, जिनके जरिए महिलाओं को शाखा से जोड़ने की रणनीति है. इससे पहले तक शाखाओं में महिलाओं को जोड़ने के बारे में संघ मना करता आया है, क्योंकि इसके पीछे बड़ा कारण मध्यम और निम्नवर्ग की महिलाओं के परिवारों में कामकाज की स्थिति मानी जाती रही है, लेकिन समय के साथ समाज में भी बदलाव आया तो संघ भी खुद को बदल रहा है. लोकसभा के चुनाव से पहले संघ में यह बड़ा बदलाव दिख सकता है. संघ में महिलाओं के शामिल करने और शाखाओं उनकी भागीदारी के लिए एक ठोस प्लान बनेगा.
4. मिशन-2024 और चुनावी साल पर फोकस
आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक ऐसे समय हो रही है जब कर्नाटक में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं और साल के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित छह राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों के चुनाव को 2024 का सेमीफाइल माना जा रहा है, क्योंकि इसके बाद ही अगले साल लोकसभा चुनाव है. संघ निश्चित तौर पर चेहगा कि जब 2025 में उसके गठन के 100 साल पूरे हो रहे हैं तो उसकी विचारधारा वाली पार्टी देश की सत्ता पर काबिज है. माना जा रहा है कि चुनावी राज्यों में संघ के प्रतिनिधि रूप में बीजेपी में काम कर रहे नेताओं की भूमिका में भी परिवर्तन किए जाने पर चर्चा हो सकती है.
संघ की बैठक में जिस तरह से बीजेपी के तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह शामिल हुए हैं. इसके अलावा भी संघ के तमाम अनुशांगिक संगठन के लोग शिरकत किए हैं. इससे यह बात समझी जा सकती है कि संघ मिशन-2024 और इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी मंथन और चर्चा करेगा.
5 . संघ का विस्तार करने का प्लान
सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है. वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर रहा और अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है. वर्ष 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है. 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थी. 2023 में यह संख्या बढ़कर 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन और 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है. संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है. 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं. शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं.
6 . आर्थिक और सामाजिक मुद्दे पर चर्चा
संघ की बैठक में स्वदेशी भारत के विकास की नीतियां बनीं. इसके अलावा भगवान महावीर के निर्वाण को 2550 साल पूरे हो रहे हैं, उनसे शिक्षा ली जाएगी. स्वामी दयानंद सरस्वती के 200 साल पूरे हो रहे हैं. शिवाजी के राज्याभिषेक को भी 350 साल पूरे हो रहे हैं. इन सभी को ध्यान में रख कर संघ विशेष कार्यक्रम आयोजित करेगा. डॉ मनमोहन वैद्य ने बताया कि युवाओं के लिए नौकरी मांगने के बजाय स्वयं उद्योग शुरू करना चाहिए. स्वदेशी जागरण मंच इस पर पूरे देश में कार्य कर रहा है. वैद्य ने बताया कि संघ की शाखा के माध्यम से सामाजिक विषयों पर चर्चा की जाती है.