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जहाजों पर हमले, US के ठिकानों पर टारगेट, नए साल पर गाजा की जंग कई देशों को चपेट में लेगी?

इजरायल
इजरायल और हमास के बीच गाजा पट्टी में इसी साल अक्टूबर में जंग शुरू हुई थी। ढाई महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है, लेकिन अब भी यह युद्ध शुरू है। इस बीच नए साल से पहले इस जंग के कई अन्य देशों को भी चपेट में लेने का खतरा भी पैदा हो गया है। इसकी वजह समुद्र में भारत, अमेरिका समेत कई देशों के कारोबारी जहाजों पर हुए हमले हैं। इन हमलों को ईरान समर्थिक हिजबुल्लाह ने अंजाम दिया है। इसके चलते इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग का असर कई देशों में दिखने की आशंका है। ईरान पहले भी कई बार दोहरा चुका है कि इजरायल नहीं माना तो जंग गाजा तक ही सीमित नहीं रहेगी।

अमेरिकी ठिकानों पर कई ड्रोन अटैक के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देश अलर्ट पर हैं। हालात यह हैं कि क्रिसमस से न्यू ईयर तक अमेरिका में छुट्टी होती है, लेकिन इस बीच भी जो बाइडेन प्रशासन पूरी नजर बनाए हुए हैं। इसकी वजह यह डर है कि समुद्र में कभी भी उस पर ईरान समर्थित उग्रवादी संगठन हमला बोल सकते हैं। इसके अलावा इराक समेत कई देशों में अमेरिकी ठिकानों पर अटैक भी हो चुके हैं। हिंद महासागर से लेकर लाल सागर तक दूसरे देशों के जहाजों को निशाना बनाते हुए कई अटैक हो चुके हैं।

अमेरिकी ठिकानों पर हमले और फिर जवाब में हवाई हमले
इसके अलावा इजरायल ने हमास के साथ जंग को महीनों तक जारी रखने की बात कही है। इसकी वजह से भी जंग के नए साल में और तेज होने की आशंका पैदा हो गई है। अब चर्चा यहां तक है कि जंग लिमिट से ज्यादा हो सकती है। सोमवार को जो बाइडेन ने इराक में हिजबुल्लाह के कई ठिकानों पर हमलों का आदेश दिया थाा। यह हमला तब हुआ, जब हिजबुल्लाह ने अमेरिकी ठिकानों पर अटैक किए थे। पर बात यहीं नहीं थमी, मंगलवार को हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में ड्रोन और मिसाइल दागे थे।

ईरानी जनरल की हत्या ने भी बढ़ा दिया तनाव, इजरायल पर आरोप
अमेरिका तो पहले  भी कई बार दोहरा चुका है कि ईरान समर्थित उग्रवादी संगठन समुद्र से गुजरने वाले कॉमर्शियल जहाजों पर अटैक कर सकते हैं। हालांकि ईरान इसमें शामिल होने से इनकार करता रहा है, लेकिन यह जगजाहिर है कि ईरान की ओर से हूथी और हिजबुल्लाह उग्रवादियों को समर्थन रहा है। शनिवार को ईरान के एक ड्रोन हमले में भारत आ रहा जहाज भी अटक गया था। यह जंग ईरान के कमांडर सैयद राजी मौसावी की हत्या के बाद और बढ़ने की आशंका है। ईरान का कहना है कि इसके पीछे इजरायल का हाथ था।

 

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