धार्मिक

तुलसी विवाह के साथ ही हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्यों का होगा शुभारंभ

कार्तिक मास में भगवान विष्णु और तुलसी माता के विवाह का बहुत महत्व है। तुलसी विवाह के साथ ही हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह कब और कैसे मनाया जाएगा, इसका विवरण नीचे दिया गया है।

तुलसी विवाह का महत्व
सनातन धर्म में भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता तुलसी के विवाह को विशेष धार्मिक मान्यता प्राप्त है। तुलसी विवाह के माध्यम से विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ समय की शुरुआत होती है। भक्त अपने घरों और मंदिरों में भगवान श्रीहरि विष्णु और माता तुलसी का विवाह पूरे विधि-विधान से संपन्न करते हैं। यह दिन भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने का प्रतीक माना जाता है।

तुलसी विवाह की तिथि
– द्वादशी तिथि की शुरुआत: 12 नवंबर, मंगलवार, सायं 4:02 बजे
– द्वादशी तिथि की समाप्ति: 13 नवंबर, बुधवार, दोपहर 1:01 बजे
उदया तिथि के अनुसार, तुलसी विवाह 13 नवंबर को मनाया जाएगा।

तुलसी विवाह की पूजा विधि
तुलसी विवाह के लिए एक साफ चौकी पर नया कपड़ा बिछाकर उस पर तुलसी और शालिग्राम की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद, चौकी के चारों ओर गन्ने से मंडप सजाएं और कलश की स्थापना करें। पहले कलश और गौरी-गणेश की विधिवत पूजा करें। फिर तुलसी माता और भगवान शालिग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, और फूल अर्पित करें। माता तुलसी को सोलह श्रृंगार और लाल चुनरी अर्पित करें। पूजा के दौरान तुलसी मंगलाष्टक का पाठ श्रद्धापूर्वक करें और फिर तुलसी माता और शालिग्राम के फेरे करवाएं। फेरे पूर्ण होने के बाद भगवान विष्णु और तुलसी माता की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

तुलसी विवाह का फल
तुलसी विवाह के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इस दिन का पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।

तुलसी विवाह पर किए जाने वाले महत्वपूर्ण उपाय
1. वैवाहिक जीवन में शांति के लिए: भगवान शालिग्राम और तुलसी माता की विधिवत पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
2. अखंड सौभाग्य के लिए: इस दिन तुलसी माता को सोलह श्रृंगार अर्पित करने से जीवन में अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. दरिद्रता दूर करने के लिए: शाम के समय पीपल वृक्ष के नीचे दीप जलाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।
4. महालक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए: तुलसी के पौधे की सात बार परिक्रमा करें और गोधूलि बेला में घी का दीपक जलाएं।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button