भयंकर लू की आशंका के बीच बिहार के अस्पतालों को अलर्ट- जरूरी इंतजाम करें
पटना
मौसम के जानकार इस साल जमकर गर्मी पड़ने की आशंका जता रहे हैं। मार्च से मई महीने के बीच भयंकर लू चल सकती है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने इससे निबटने के लिए खास कार्ययोजना तैयार की है। साथ ही राज्य के सभी अस्पतालों को अलर्ट करते हुए लू से निबटने की तैयारी शुरू करने और जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही लोगों को लू से बचाव के उपाय के बारे में भी जागरुक किया जाएगा।
विभाग ने कहा है कि गरम हवाओं/लू के दौरान बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती व धात्री माताओं के साथ ही पूर्व से गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों की सुरक्षा को लेकर अभी से ही तैयारी शुरू कर लें। लू लगने पर अधिक पसीना, तेज गति से सांस चलना, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी-दस्त, तेज बुखार आ जाया करता है। इसके लिए यह जरूरी है कि लोगों को प्रशासनिक, समुदाय और स्वास्थ्य संस्थानों के स्तर पर जागरुक किया जाए। जिलास्तर पर डीएम की अध्यक्षता में महामारी समिति गठित है। पिछले अनुभवों के आधार पर समन्वय स्थापित कर निरोधात्मक कार्रवाई करें।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई तैयारी समिति को अनिवार्य रूप से हो। लू लगने के लक्षण, उसके कुप्रभाव प्राथमिक उपचार को लेकर सभी स्वास्थ्य कर्मियों को जानकारी दी जाए। सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। क्या किया जाए और क्या नहीं, इसकी सूची तैयार कर ली जाए। जीवर रक्षक औषधियों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित कर ली जाए। आवश्यकतानुसार मोबाइल टीम का गठन किया जाए। लू लगने वाले मरीजों के उपचार के लिए अलग से बेड आरक्षित कर लिया जाए। निदेशक प्रमुख (आपदा) वह सभी निर्णय लेने के लिए जिम्मेवार होंगे जिससे लू से उत्पन्न बीमारी की रोकथाम हो सके।
लू और भीषण गर्मी के दौरान रखें ये सावधानियां
एएनएम और आशा वर्कर के माध्यम से लोगों को बताया जाएगा कि अगर जरूरी न हो तो दोपहर में घर से बाहर नहीं निकलें। यथासंभव सूती और हल्के रंग का कपड़ा पहनें। नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें। पानी में ग्लूकोज पीएं। हल्का और थोड़ा-थोड़ा भोजन खाएं। तेज धूप में बच्चों को बाहर न जाने दें। बाहर जाते समय टोपी, गमछा या छाता लेकर जाएं। लू लगने पर तौलिया को ठंडे पानी में भिगोकर सिर पर रखें और पूरे शरीर को भीगे कपड़े से बार-बार पोछते रहें। लू लगने पर आम का पन्ना, सत्तू का घोल और नारियल का पानी पीएं। ताजी बनी दाल का पानी, चावल के माड़ में थोड़ा सा नमक मिलाकर बच्चों को पिलाएं। गंभीर स्थिति होने पर अविलंब नजदीकी अस्पताल ले जाएं। गृह भ्रमण, ग्राम स्वास्थ्य पोषण व स्वच्छता दिवस के आयोजन पर यह जानकारी आम लोगों को दी जाएगी।