AIIMS के डॉक्टरों का कमाल; पेट छाती से जुड़ी जुड़वा बहनों को 9 घंटे की सर्जरी के बाद किया अलग
नई दिल्ली
एम्स के डॉक्टरों ने करीब नौ घंटे चली सर्जरी में दो ऐसी जुड़वां बहनों को अलग किया है जो जन्म से ही छाती और पेट से एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं। इन दोनों बच्चियों का लिवर, छाती की हड्डियां, फेफड़ों का डायफ्राम और यहां तक की दिल से जुड़ी कुछ झिल्लियां भी आपस में जुड़ी हुई थीं। ऐसे में छाती और पेट से चिपके दोनों बच्चों को अलग करने के लिए एम्स के डॉक्टरों ने नौ घंटे की सर्जरी की। इसमें डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ समेत करीब 64 लोगों की टीम ने काम किया। उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले अंकुर गुप्ता ने बताया कि जब कुछ समय पहले उनकी पत्नी दीपिका गुप्ता गर्भवती हुई तो हमने बरेली के एक स्थानीय अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराया। यहां जुड़वा बच्चों के आपस में जुड़े होने का पता चला तो स्थानीय डॉक्टर ने कहा कि इनका बचना मुश्किल है। किसी की सलाह पर दीपिका गुप्ता इलाज के लिए एम्स आ गईं।
एम्स के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बरेली की जुड़वां बहनें- रिद्धि और सिद्धि एक-दूसरे के सामने छाती और पेट के ऊपरी हिस्से से जुड़ी हुई थीं। दोनों का लिवर और हृदय के क्षेत्र को अलग करना चुनौतीपूर्ण था। जुड़वां बहनों के बीच प्रमुख अंग साझा थे। इन अंगों में यकृत, हृदय को ढकने वाली परतें, पसली, डायाफ्राम और पेट की दीवार शामिल थीं। दोनों का लिवर और हृदय के क्षेत्र को अलग करना चुनौतीपूर्ण था। सर्जनों की कई टीमों ने बारी-बारी से सर्जरी को सटीक और कुशलता से पूरा किया।
बच्चियों को गंभीर देखभाल इकाई में रखा गया था। विभिन्न विभागों के इनपुट और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी देखभाल के कारण दोनों स्वस्थ होने में सक्षम हुई हैं। अब वे अस्पताल से छुट्टी के लिए तैयार हैं। बीते तीन वर्षों में प्रोफेसर मीनू बाजपेयी के नेतृत्व में एम्स दिल्ली के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित यह तीसरी बेहद मुश्किल सर्जरी थी। टीम ने पिछले तीन वर्षों में संयुक्त जुड़वां बच्चों के तीन जोड़ों को सफलतापूर्वक अलग किया है। जुड़वां बच्चों की पहली और दूसरी जोड़ी कूल्हे से जुड़ी थी। अब ये स्वस्थ हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि बरेली की रिद्धि और सिद्धि संयुक्त जुड़वां बहनें थीं। संयुक्त जुड़वां बच्चे वे बच्चे होते हैं जो जन्म से ही एक-दूसरे से शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं। संयुक्त जुड़वा बच्चों को अलग करना बेहद जोखिम भरा और चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे बच्चों को अलग करने के लिए बेहद जटिल सर्जरी की जरूरत होती है। ऐसी सर्जरी के लिए रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, नर्सिंग समेत विभिन्न विभागों का कोआर्डिनेशन और कार्यान्वयन चाहिए होता है।