सीने के एक्स-रे से उम्र बताने वाला एआई-मॉडल विकसित
नई दिल्ली
हाल में विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का मॉडल किसी के भी सीने के एक्स-रे से उसकी उम्र का आकलन कर सकता है। 'द लांसेट हेल्दी लॉन्गेविटी' पत्रिका मंम प्रकाशित नए अनुसंधान से यह जानकारी सामने आई है।
जापान के ओसाका मेट्रोपोलिटन विश्वविद्यालय के अनुसंधान से पता चलता है कि एआई का यह मॉडल अनुमानित और सटीक उम्र के बीच के अंतर से उच्च रक्तचाप और असाध्य श्वसन रोग से संबंधित बीमारियों के बारे में संकेत दे सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि इस निष्कर्ष से चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी मदद मिलेगी और इससे बीमारी का पहले ही पता लगाने और उसे रोकने की दिशा में काम करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
जैसे जैसे वैश्विक आबादी की उम्र बढ़ रही है, उम्र से संबंधित और लंबी उम्र के विषय में अनुसंधान का महत्व बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि बुढ़ापा एक जटिल बदलाव है जिसके साथ कई बीमारियां आती हैं और यह अलग अलग लोगों पर अलग अलग असर डालता है।
अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले याशुहितो मित्सुयामा ने कहा, ''दवा के क्षेत्र में सटीक उम्र महत्वपूर्ण कारकों में से एक होती है। हमारे नतीजे बताते हैं कि सीने की रेडियोग्राफी-आधारित स्पष्ट उम्र, कालानुक्रमिक उम्र से परे स्वास्थ्य स्थितियों को सटीक रूप से दर्शा सकती है।''
उम्र के आकलन के लिए एआई मॉडल को 2008 और 2021 के बीच स्वास्थ्य जांच के लिए आए 36,051 स्वस्थ व्यक्तियों से संकलित उनके सीने के करीब 67,000 रेडियोग्राफ का इस्तेमाल कर प्रशिक्षित किया गया है।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मॉडल एआई अनुमानित उम्र और व्यक्ति की सटीक उम्र के बीच मजबूत संबंध दिखाती है।
फिर इसे ज्ञात बीमारियों वाले कई रोगियों से संकलित सीने की अतिरिक्त 34,197 रेडियोग्राफ पर एआई-अनुमानित आयु और प्रत्येक बीमारी के बीच संबंध का विश्लेषण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
कुल मिलाकर इस एआई मॉडल को जापान में पांच संस्थानों से 70,248 उम्मीदवारों से संकलित करीब 1,01,300 एक्स-रे (सीने के) से प्रशिक्षित किया गया।
व्यक्ति की अनुमानित एआई उम्र और उनकी सटीक उम्र के बीच तुलना से उच्च रक्तचाप, हाइपरयुरिसीमिया (रक्त में उच्च यूरिक एसिड का स्तर) और श्वसन से संबंधित असाध्य रोगों जैसी गंभीर बीमारियों के बीच संबंध का पता चला।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इसका अर्थ है कि एआई द्वारा अनुमानित आयु जितनी अधिक होगी, इन व्यक्तियों में उपरोक्त बीमारियां होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।