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जी-20 के बाद PM मोदी ने फिर उठा दी सुरक्षा परिषद में सीट की मांग, पाकिस्तान के ‘दोस्त’ ने भी दिया साथ

 नई दिल्ली
भारत ने जी-20 के सफल आयोजन के साथ ही अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग उठा दी है। जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंपने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 'वन फ्यूचर' सेशन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 80 साल के इतिहास में संयुक्त राष्ट्र काफी बदल गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से अब तक उसके सदस्यों में 4 गुना तक का इजाफा हो गया है। पीएम मोदी ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या अब तक बदली नहीं है। लेकिन दुनिया हर मायने में पूरी तरह से बदल चुकी है।'

प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन, हेल्थ और एजुकेशन समेत तमाम चीजें बदल गई हैं। अब पहले जैसा कुछ भी नहीं रह गया है। इसलिए नई विश्व व्यवस्था में ये चीजें दिखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्थितियां बदल गई हैं और संस्थाओं में वह परिदृश्य दिखना चाहिए। उन्होंने एक तरह से सुरक्षा परिषद को नसीहत भी दी और कहा कि जो खुद को समय के अनुसार नहीं बदलते हैं, वे अपनी प्रासंगिकता खो देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बदलती दुनिया को ध्यान में रखते हुए ही जी-20 में 55 देशों में अफ्रीकन यूनियन को हमने एंट्री दिलाई है।

US और फ्रांस पहले ही कर चुके हैं भारत का समर्थन

इस बीच भारत की मांग को दुनिया के कई देश समर्थन दे रहे हैं। अमेरिका और फ्रांस जैसे देश कई बार दोहरा चुके हैं कि हम चाहते हैं कि भारत को सुरक्षा परिष्द का स्थायी सदस्य बनाया जाए। अब ऐसी ही मांग तुर्किए ने की है, जो अब तक पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाना जाता था। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि अगर भारत जैसा देश सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनता है तो हमें गर्व होगा। उनका बयान इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि कई बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर वह कश्मीर का मुद्दा उठा चुके हैं। इस पर भारत ने ऐतराज भी जताया था और रिश्ते बिगड़ गए थे।

एर्दोगन बोले- दुनिया P-5 से कहीं ज्यादा बड़ी है

एर्दोगन ने भी पीएम मोदी की बात का समर्थन करते हुए कहा कि दुनिया पी-5 से कहीं ज्यादा बड़ी है। पी-5 का अर्थ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के परमानेंट सदस्यों से होता है। उन्होंने कहा कि दुनिया का अर्थ सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन से ही नहीं है। हम इन पांच ही देशों को सुरक्षा परिषद में नहीं देखना चाहते। बता दें कि सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों को वीटो पावर मिली है। यदि इनमें से कोई एक मेंबर भी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करता है तो फिर प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होता है। सुरक्षा परिषद में एक वक्त में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। इस तरह कुल 15 मेंबर्स के साथ इस संस्था का संचालन होता है।

 

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